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बीकानेर,आज संघ ने सरकार द्वारा प्रकाशित दिनांक 03.02.2024 तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश जो प्रकरण संख्या 202/1995 आईए संख्या 41723/2022 में औरण और पारिस्थितिक तन्त्र की भूमि को डीम्ड फारेस्ट घोषित किया जाना प्रस्तावित है, उसके क्रम में गौचर औरण संरक्षक संघ, राजस्थान के राज्यव्यापी आह्वान पर आज बीकानेर में आपत्ति दर्ज करवाने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्री राजस्थान सरकार प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान को जिला कलेक्टर बीकानेर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया ।

इस अवसर पर देशनोक मंदिर ओरण के संरक्षक श्री वासुदेव देपावत ने कहा कि औरण एवं अन्य पारिस्थिक तंत्र की भूमि से आमजन की भावनायें जुडी हुई हैं । साधारणतया औरण भूमि देवभूमि है, जो हमारे पुरखों ने राजस्थान की मरूभूमि के रेगिस्तानी स्वभाव को देखते हुए देवताओं के नाम पर छोडी थी । इन औरण भूमि में हरे वृक्षो की कटाई पर प्रतिबंध था तथा इस भूमि में केवल गांव के पशु अपनी चराई करते थे। देशनोक माता मंदिर की भूमि देशनोक करणी मंदिर ट्रस्ट के नाम से है, उसे राज्य सरकार वन विभाग को नहीं दे सकती यह एक निजी भूमि है।
इस अवसर पर संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष निर्मल कुमार बरडीया ने कहा कि औरण पुरखों द्वारा देवताओं के नाम पर छोडी गई चारागाह भूमि है । पश्चिमी राजस्थान के ग्राम्य क्षेत्रों में अधिकांश ग्रामीणों का रोजगार पशुपालन है । यहां लोग बडे बडे रेवड यानि भेड बकरियों के झुण्ड, रखते हैं और इनको चराने के लिये ये औरण ही एकमात्र साधन होता है, यदि औरण भूमि को डीम्ड फाॅरेस्ट घोषित किया जायेगा तो ग्रामीणों को अपने पशुओं को चराना असंभव होगा, पशुपालकों की आजीविकी अवरूद्ध हो जायेगी क्योंकि वनभूमि में वर्तमान प्रावधानों के अनुसार पशुओं की चराई बाधित है।
संगठन के सुनील व्यास ने कहा कि इन देव ओरणो में समय-समय पर उत्सव मेले यात्राएं आरती आयोजित होती रहती है। यदि यह भूमि डीम्ड फाॅरेस्ट घोषित होती है तो जन आस्थाओं और इन मेलों-आयोजनों-धार्मिक उत्सवों पर विपरीत प्रभाव पडेगा।
इस अवसर पर संघ के डा. करणीसिह बिट्ठु ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध मेें 1996 वाले मुकदमें, जिसे गोदावर्मन केस के नाम से भी जाना जाता है उसमें 12.12.1996 को तथा वर्तमान में 19.02.2024 को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि फाॅरेस्ट का डिक्शनरी मीनींग काम में लिया जाये उसके अनुसार वह स्थान जहां पर सघन वृक्षारोपण हो वह डीम्ड फॉरेस्ट हो सकता है परंतु हमारी वर्णों में यह लागू नहीं होता है क्योंकि मरुस्थलीय और होने के कारण से यहां पेड़ों का अभाव रहता है यह आदेश सगन वन क्षेत्र का लिए है और उनके लिए नहीं चाहिये थी ।
संघ वासुदेव चारण ने बताया कि 2004 की कपूर समिति की रिपोर्ट में चिन्हित की गई भूमियों और वर्तमान में इस विज्ञप्ति जारी होने के समय दर्शाई गई भूमियों में जमीन आसमान का अंतर है ।
संघ के प्रदेश संगठन महामंत्री सूरजमाल सिंह नीमराना ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशो के परिप्रेक्ष्य में भी औरण भूमि कभी भी वन भूमि चिन्हित नहीं की जा सकती, क्योंकि यह उक्त सभी परिभाषाओं से परे है, साथ ही अधिकांषतः औरण भूमि रेगिस्तानी भूमि है । साथ ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में दिये गये विभिन्न दिशा-निर्दशो और उसकी पृष्ठभूमि का अध्ययन करें, जिसमेें माननीय सर्वोच्च न्यायालय का मूल उद्देश्य देश के जंगलों के मूलरूप को यथावत रखना है तथा इन जंगलों में वाणिज्यिक गतिविधियों को स्थाई रूप से बन्द करना है ।
नीमराना ने कहां की राजस्थान के औरण किसी भी सूरत में इन बिन्दुओं के मानकों को पूरा नहीं करते । वन विभाग द्वारा जो भूमियां अधिसूचित की गई हैं, उसका दो तिहाई से अधिक हिस्सा मरूभूमि अथवा रेगिस्तान है, यहां वनों की कल्पना ही कल्पनातीत है ।
संघ के सूरज प्रकाश राव ने कहा कि राजस्थान के विभिन्न जिलों की औरण भूमि को यदि डीम्ड फारेस्ट घोषित कर दिया जाता है तो यह न केवल हमारी भावनाओं, आस्थाओं, धार्मिक मान्यताओं पर सीधा प्रहार होगा अपितु हमारे पुरखों ने जिस महान उद्येष्य से यह भूमि छोडी थी, उस उद्येष्य को भी यह शून्य कर गये, साथ ही साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अब तक जारी किये
आदेशों का भी स्पष्ट उल्लंघन होगा ।
संघ के बलदेवदास भदानी ने बताया कि सम्पूर्ण भारत में औरण नाम से पुरखों ने कहीं भी अपनी भूमि का स्वामित्व नहीं छोडा था, केवल राजस्थान में ही औरण भूमि का वर्चस्व है तथा जितना बडा रेगिस्तानी इलाका है, उतना ज्यादा औरण जनहित एवं पर्यावरण हित में, पशुहित में हमारे पूर्वजों द्वारा छोडा गया है ।
आज के इस ज्ञापन में पार्षद अनूप गहलोत, जीव दया समिति के मोखराम धारनिया, एडवोकेट सुनील आचार्य, एडवोकेट सुरेश बिश्नोई, प्रेम सिंह घूमन्दा ,मनोज सेवक, चांदवीर सिंह, सुशील कुमार सुथार, एडवोकेट चंद्रवीर सिंह चौहान,हरिकिशन व्यास, शिवदयाल उपाध्याय, अशोक उभा, शंकर लाल पारीक अकासर, नरेंद्र यादव, आदि ने भाग लिया

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