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बीकानेर,वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव बीकानेर में रोचक रहे हैं। राजनीति में रुचि रखने वालों को आज भी वह दिन याद है। उस दौर में जनता पार्टी का बोलबाला था, तब हालात यह बने कि कांग्रेस के टिकट पर लडऩे के लिए कोई प्रत्याशी आगे नहीं आ रहा था। उस समय कांग्रेस के सामने प्रत्याशी का संकट था। ऐसे में कांग्रेस से ही निष्कासित गोकुल प्रसाद पुरोहित को बुलाकार फिर से टिकट दिया। वो ना-नुकर करते रहे, लेकिन उस समय टिकट वितरण के प्रभारी चंदलमल वैद ने पुरोहित से मुलाकत की और सीधा चुनाव मैदान में उरने की बात कही।

हलांकि शहरी क्षेत्र में पुष्करणा जाति का बाहुल्य था, इसके बावजूद उस चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय के ‘महबूब अली’ पुरोहित से चुनाव जीतकर विधायक बन गए। महबूब अली जनता पार्टी से उम्मीदवार थे। विधायक बनने के बाद वह भैरोसिंह शेखावत मन्त्री मण्डल में सूचना एवं जनसंपर्क और जलदाय विभाग के मन्त्री बने। उन जैसा सीधा- साधा , ईमानदार और ज़मीन से जुड़ा कोई मन्त्री नहीं रहा। सरकारी कार मिली हुई थी लेकिन वो साईकल पर सचिवालय जाते। साईकल वाले मन्त्री के नाम से वे विख्यात रहे। बीकानेर को हुसनसरहेड से पाइप लाइन द्वारा पानी लाकर बरसों प्यासी जनता को इन्होंने ही नहर का पानी पिलाया। इसके लिए उन्हें एक बार मन्त्री पद से इस्तीफ़ा तक देना पड़ा था। जनसम्पर्क मन्त्री के रहते हुए उन्होंने छोटे पत्रों को साल में-१२- सजावटी विक्षापन दिलाने के आदेश जारी किए थे। वे मन्त्री रहते अपने बीकानेर नगर के अपने दोस्तों को भूले नहीं। उनके साथ हरीश भदानी, मोहम्मद सदीक़, मों अज़ीज़, शुभु पटवा, मखन जोशी, रामकिशन दास गुप्ता और भी कई इनके यार थे। कभी किराडू पान वाले की होटल, कभी आर- पार होटल , कभी जयहिंद होटल पर दोस्तों के साथ साहित्यिक और राजनीतिक चर्चा चाय के दौर के साथ चलती रहती। इन्हें गुटके खाने का शौक़ था। वे एक अच्छे पत्रकार भी थे। उन्होंने बीकानेर एक्सप्रेस में सालो- साल लिखा। उनके लिखे से काफ़ी लोगो को जलन महसूस होती। एक बारी तो केबिनेट मन्त्री ने उनके लिखे लेख की प्रतियाँ विधानसभा में वितरित कर उन्हें बदनाम करने की चेष्टा की। लेकिन वो निडर और निर्भीक पत्रकार थे। दिल्ली से प्रकाशित करंट समाचार पत्र ने सर्वे कर देश के १० ईमानदार रजनीतिक्षों की सूची ज़ाहिर की। जिसमें महबूब अली तीसरे स्थान पर थे दूसरे पर मनमोहन सिंह थे। सादगी से परिपूर्ण महबूब अली के देहांत के बाद उनके बैंक खाते में मात्र-२४० रू ही थे। आज उनकी पुण्य तिथि हैं। बहुत याद आई उनकी। उन्हें हमारा सादर नमन

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