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हालांकि नर्सों को इस उपाधि का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने का कारण या आधार नहीं बताया गया है।
3 नर्सों ने मांगी ‘डॉक्टर’ की उपाधि लगाने की अनुमति : स्वास्थ्य विभाग में तैनात नर्सों ने महकमे को एक प्रस्ताव भेजा था कि उन्हें पीएचडी पूरी करने के बाद अपने नाम के साथ ‘डॉक्टर’ लगाने की अनुमति दी जाए। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (अराजपत्रित) सुरेश नवल ने नौ फरवरी को पत्र जारी कर कहा कि तीन नर्सों ने निदेशालय को प्रस्ताव भेजकर अपने नाम के साथ ‘डॉक्टर’ की उपाधि लगाने की अनुमति मांगी है, लेकिन इस ‘शीर्षक’ का उपयोग करने के लिए प्रशासनिक विभाग की ओर से अनुमति नहीं दी गई है।
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस आदेश ने उन नर्सिंग स्टाफ को हतोत्साहित कर दिया है जो अपने क्षेत्र में शोध के लिए जाते हैं जिससे अंततः मरीजों को फायदा होता है। उन्होंने कहा, विभाग ने पीएचडी कर चुकी नर्सों को ‘डॉक्टर’ की उपाधि का उपयोग करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हम शासन में उच्च अधिकारियों के पास जाएंगे।
दस्तावेज़ों में बदलाव की आवश्यकता है : पीएचडी कर चुके लोग अपने नाम के साथ ‘डॉक्टर’ की उपाधि का उपयोग करना चाहते हैं। इसके लिए दस्तावेज़ों में बदलाव की आवश्यकता है और उस प्रक्रिया का पालन करने के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक है जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीएचडी करने वालों को ‘डॉक्टर’ की उपाधि का उपयोग करने की अनुमति देने से नर्सें शोध और उच्च अध्ययन के लिए प्रोत्साहित होंगी और मरीजों को लाभ होगा।
हालांकि पत्र में नर्सों को इस उपाधि का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने का कारण या आधार नहीं बताया गया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इसके लिए अनुमति देने से लोगों में भ्रम पैदा होगा और शायद वे मेडिकल डॉक्टर या पीएचडी धारक के बीच अंतर न कर पाएं।
 


 
                                                         
                                                         
                                                         
                                                         
                                                        