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बीकानेर।बीकानेर शहर में सट्टे का कारोबार बड़े चरम पर है यहां रोजाना करोड़ रुपये का सट्टे का खेल सटोरियों द्वारा लोगों को खेल में खेलाया जाता है जहां युवा पीढ़ी रातों रात लखपति बनने के चक्कर में इस दलदल में फंस जाते है जहां से निकलना दूभर है।  पिछले काफी वर्षों से शहर में सट्टे का कारोबार बड़े उच्च स्तर पर जा पहुंचा है आज की युवा पीढी ज्यादात्तर इस सट्टे में लिप्त है जिससे अपराध का ग्राफ बढ़ा है।  अभी दुबई में चल रहे आइपीएल 14 क्रिकेट मैचों के लिए भी बीकानेर  में रोज करीबन 50 करोड़ के दांव खेले जा रहे हैं।
हालांकि बीकानेर  के परम्परागत सट्टे का स्वरूप अब बदल गया है, सट्टा अब ऑनलाइन खेला जा रहा है। सटोरियों ने इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार कर रखा है, हजारों सटोरिए इससे जुड़े हैं। बीकानेर  से एक  हजार से ज्यादा लोग इस खतरनाक प्लेटफार्म से जुड़े हैं। बीकानेर शहर के अलावा  फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, चूरू, नागौर, नावां, कुचामन, झुंझुनूं व जयपुर, जोधपुर, गंगानगर के सटोरिये इसके जरिए सट्टे का खेल खेल रहे हैं। ऑनलाइन होने के कारण बीकानेर के सटोरिए देश के अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए हैं। सोशल मीडिया पर बने पेजों के जरिए सभी एक दूसरे से आसानी से जुड़े हैं। इस ऑनलाइन प्लेटफार्म पर एक निश्चित रकम के बदले वॉलेट बनाए जाते हैं।
एसपी की कार्यवाही से सटोरियों में मचा हुआ है हडक़ंप
जब से आईपीएल शुरु हुआ तब से ही पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा एक्शन मोड पर है अभी पुलिस आये दिन सटोरियों पर कार्यवाही कर रही है।
इन इलाकों में सटोरियों की भरमार
मुक्ताप्रसाद,जयनारायण व्यास कॉलोनी, घडसीसर रोड, सुजानदेसर, शिव वैली, नयाशहर के नत्थुसर गेट, शहर के अंदर भी कुछ इलाकों मे तंग गलियों में अपने ठिकाने बना रखे है। तो वहीं सुनारों की गुवाड़,बागीनाड़ा हनुमान, बड़ा बाजार, मोहता का चौक, तेलीवाड़ा चौक सहित जस्सूसर गेट, मालियों का बास, मुरलीधर व्यास कॉलोनी, गोपेश्वर बस्ती,नोखा रोड़, रथखाना सहित कई ऐसे इलाके है जहां सटोरियों अपने आपको सुरक्षित समझ कर तंग गलियों में अपना सही ठिकाना बना कर रखे है।
सट्टे में अमूमन ये तीन शब्द ज्यादा चलते हैं। फंटर सट्टे पर दांव लगाने वाले को कहते हैं और जो दांव लगवाता है वह बुकी कहलाता है। पसंदीदा टीम पर लगे दांव को लगाईवाली और दूसरी टीम पर दांव लगाना हो, तो उसे खाईवाली कहा जाता है। सटोरियों द्वारा बनाए गए ऑनलाइन प्लेटफार्म पर 3 हजार रुपए देकर अकाउंट बनाया जाता है, जिसके बाद आइडी पासवर्ड संबंधित व्यक्ति को मिल जाते हैं। फिर ऑनलाइन खेल शुरू हो जाता है।

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