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बीकानेर,मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सहयोग तथा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट के संयुक्त तत्त्वाधान में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राज्य स्तरीय राष्ट्रीय युवा पर्यावरण संसद 2024 का आयोजन हुआ जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि इसमें 20 शैक्षिक संस्थानों, 7 विशेष सत्रों सहित 200 से अधिक विद्यार्थियों ने इस युवा संसद में प्रतिभागिता निभाई। इस युवा संसद में विश्वविद्यालय द्वारा 20 अंतिम विजेता प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा जो फरवरी में आयोजित होने वाले नागपुर में राष्ट्रीय युवा संसद में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेगें। इस राज्य स्तरीय युवा संसद प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्य श्री मधुर मोहन रंगा, डॉ.रूमा भदौरिया, डॉ.के.जी. शर्मा, श्री विक्रम सिंह राव, डॉ.अर्जुन लाल मीना, डॉ. प्रवीण पुरोहित, प्रो. राजेश कुमार, प्रो.सरोज मीना, डॉ.विजयकुमार, डॉ.वैभव जैन,डॉ.करनजीत कौर रहे। विधार्थी आयोजन समिति की जागृति,भावना, तन्मय, राहुल,आकाश, दुर्गेश सहित सुषमा ने भी अपनी महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई।

हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों को राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद-2024 में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया है, जो हमारे देश के युवाओं के बीच पर्यावरण जागरूकता और नेतृत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक पहल है। एनईवाईपी-2024 युवाओं के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करने की अपेक्षा रखता है, जो उन्हें हमारे द्वारा सामूहिक रूप से सामना की जाने वाली गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए उद्देश्यपूर्ण संवाद, कार्यों और पहलों को एकजुट करता है। इसके अयोजन का मुख्य उद्देश्य युवाओ को नेतृत्व कौशल और पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी की भावना से सशक्त बनाना, युवा जुड़ाव, सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना और प्रकृति की जटिलताओं के लिए गहरी समझ और प्रशंसा को बढ़ावा देना है। अक्टूबर 2023 में प्रारंभ हुई इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियो ने चार चरणो में भाग लिया। इनमे से प्रथम स्तर कॉलेज लेवल और फिर यूनिवर्सिटी स्तर पर छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की। इसके अन्तर्गत राजस्थान स्तर 10 व 11 दिसंबर दो दिवसीय को ऑनलाइन माध्यम से दो दिवसीय (रीजनल प्रतियोगिता) का आयोजन बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है। बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अतिरिक्त, बनस्थली विद्यापीठ, एम.एल.एस.यू. उदयपुर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान, ज.एन.वी यूनिवर्सिटी ऑफ़ जोधपुर आदि कुल 20 यूनिवर्सिटीयों के विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में भाग लिया। यह दो दिवसीय वाद विवाद प्रतियोगिता टूरीजम कनेक्टिंग विथ हेरिटेज एंड कल्चर विषय पर आयोजित की गई। युवा का अंतिम स्तर नेशनल लेवल पर नागपुर में फरवरी में आयोजित होगी जिसमे प्रत्येक रीजन से केवल 15-20 विद्यार्थियों को नेशनल लेवल पे अपने रीजन का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा।

*इस अवसर पर कुलपति प्रो. अंबरीष शरण विद्यार्थी ने अपने संदेश में कहा कि* राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद को नए भारत के विकास को प्रेरित करने, विभिन्न विश्वविद्यालयों के असाधारण युवाओं के बीच संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया है। प्रमुख राष्ट्रीय पर्यावरणीय मुद्दों पर उनके पारस्परिक जुड़ाव, आदान-प्रदान और विचार-विमर्श से इस मुद्दे के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा यूजीसी द्वारा ‘पर्यावरण संरक्षण गतिविधि’ के अन्तर्गत देशभर के विश्वविद्यालयों के बीच इस युवा संसद का आयोजन किया जा रहा है ताकि युवाओं को मौजूदा पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में जागरूक किया जा सके। अब हमारे छात्रों के बीच पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर चर्चा शुरू हो गई है, ऐसे में हमारा उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि हम लगातार इस रास्ते पर चलते रहें और अपने छात्रों को 21वीं सदी की सबसे जटिल समस्याओं को हल करने और एक सतत भविष्य बनाने का रास्ता तलाशने के लिए प्रोत्साहित करें।

*डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ अभिषेक पुरोहित* ने कहा कि सेमिनारों, कार्यशालाओं, पैनल चर्चाओं, इंटरैक्टिव सत्रों और नीतिगत बहसों जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस पहल का उद्देश्य हमारे पर्यावरण और हरित की अगली पीढ़ी दोनों के लाभ के लिए विविध पृष्ठभूमि के छात्रों और युवाओ को शामिल करके ज्वलंत मुद्दों का समाधान करना है। इसी विषय को ध्यान में रखकर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता हैं।

*कार्यक्रम संयोजक डॉ ममता शर्मा और डॉ गायत्री शर्मा ने कहा कि* पर्यावरणीय स्थिरता प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करने के लिए आवश्यक है। आज के मानव समाज को सामाजिक रूप से जिम्मेदार होना चाहिए, हमें पर्यावरण संरक्षण और मानव और प्राकृतिक प्रणालियों में गतिशील संतुलन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मानव कल्याण का पर्यावरण के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। मानव समुदाय को इसके लिए जागृत होना पडेगा। सतत विकास की प्रक्रिया ने पर्यावरणीय को प्रभावित किया है। आज देश के युवाओं को पर्यावरण के प्रति सजग होने की आवश्यकता है एवं जो भी कार्य हम करें वह पर्यावरण को ध्यान में रखकर करें। आज हमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट की आवश्यकता है, विकास हमारी मौलिक आवश्यकता है परंतु यह विकास हमें पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही करना होगा।

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