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बीकानेर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि गाँधीवादी नेता की है। उनके संस्कार और विचार गांधीवाद के काफी निकट है। गांधी जयंती के दिन गहलोत ने ग्राम पंचायत स्तर पर 10 लाख के कार्य स्वीकृति का वित्तीय अधिकार दिया है। गांधी जी ग्राम स्वावलम्बन औऱ ग्राम विकास के प्रबल हिमायती रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने ही पंचायत राज की नींव रखी थी। पंचायत राज को गांव की सरकार कहा गया। मुख्यमंत्री चाहते तो इस गांधी जयंती पर ग्राम विकास और ग्राम स्वावलम्बन का अभियान शुरू कर सकते थे। त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था सरकार की अनदेखी से प्रभावी नहीं बन सकी है। पंचायत राज में शामिल किए विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि को पंचायत राज के अधीन रखने का निर्णय विफल हो गया है। वहीं ग्रामीण विकास सरकार विभागों के कार्यों की तर्ज पर ही हो रहा है तो पंचायत राज का महत्व ही क्या रह गया। सरकार का किसी भी रूप में ग्रामीण विकास पर ध्यान नहीं है। ग्रामीण विकास की योजनाओं का क्या हश्र है बताने की जरूरत नहीं है। हम गांधी जयंती क्यों मना रहे हैं ? गांधी विचार की आज भी प्रासंगिकता का ढ़िढोरा पीटने का क्या अर्थ है ? जब न तो ग्रामीण हमारी प्राथमिकता है और न ही ग्राम विकास व ग्राम स्वावलम्बन में स्वायत्तता है। भारत गांवों में बसा है। गांधी जयंती पर प्रशासन गांवों के संग का मन्तव्य तो सही है, परन्तु गाम स्वावलम्बन व विकास के नाम पर स्थायी कुछ नहीं है। राजस्थान में भी गांवों वाला प्रदेश है ऐसे में गहलोत की सरकार ग्रामीण विकास और ग्रामीण स्वावलम्बन को तरजीह देती तो गांधी जयंती मनाने की सार्थकता ज्यादा सिद्ध होती।

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