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बीकानेर,संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मांग की थी 03 मई 2021 को दिए आदेश को मोडिफाई किया जाए, जिसे करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया, फ़ीस के आभाव में बच्चों को नहीं कर सकेंगे डिबारप्र देश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि सुनवाई के दौरान प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने माननिय उच्चतम न्यायालय के निर्णय 03 मई 2021 जिसके तहत फीस नहीं चुकाने के कारण किसी भी बच्चे की पढ़ाई नही रोकी जा सकेगी को हटाया जाने की माँग की *जिसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया* साथ ही अभिभावकों द्वारा फ़ीस नहीं चुकाने की स्तिथि में स्कूलों को फ़ीस वसूली के लिए क़ानूनी प्रावधानों के तहत फीस वसूली करने को स्वतंत्र किया

— सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट ने *सुप्रीम कोर्ट से स्कूल फ़ीस कमेटी के आभाव में स्कूल मैनेजमेंट द्वारा निर्धारित फ़ीस को माने जाने की माँग को निरस्त करते* हुए सुप्रीम कोर्ट ने *अपने 03 मई 2021 के निर्णय को बहाल* रखा है। राजस्थान हाई कोर्ट में सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट की फ़ीस एक्ट सम्बंधित लम्बित रिट के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा निर्णीत किए जाने के लिए कहा है।

— सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे स्कूल जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की मंशा के विपरीत फीस अधिक मांग रहे है उनके खिलाफ सक्षम न्यायालाय में जाकर इसकी शिकायत अभिभावक कर सकते है। साथ ही जो अभिभावक फ़ीस देने में अक्षम है उनके प्रतिवेदन पर स्कूल को निर्णय करने के लिये कहा गया है

— सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार फीस एक्ट के अनुसार तय नही की गई फीस की शिकायत भी ब्लाक, जिला एवं शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री को की जा सकेगी

— प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि ” सुप्रीम कोर्ट ने न्यायसंवत फैसला सुनाते हुए निजी स्कूलों की बच्चों को क्लास से डिबार करने एवं फीस वसूलने का हथियार बनाने की मांग को खारिज करते हुए अपने आदेश मैं बच्चों की ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास नही रोकी जा सकती और उनका रिजल्ट भी नही रोका जा सकता है मैं कोई परिवर्तन नही किया।

— अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट और प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत विवेचना कर प्रदेश के अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहे है, 03 मई 2021 को स्कूल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में स्कूलों द्वारा माँगे जाने वाली फ़ीस ” फीस एक्ट 2016 ” के अनुसार बतायी थी जबकि अब उन्होंने याचिका लगाकर मांग की ” 03 मई के ऑर्डर को मोडिफाई किया जाए, उनके स्कूलों में फीस एक्ट के अनुसार कमेटियां नही बनी हुई और ना ही फीस डिसाइड है, इसलिए जो फीस उन्होंने डिसाइड की है वह लेने का आदेश दिया जाए

— एडवोकेट अमित छंगाणी ने जानकारी बताया कि 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए, एक्ट द्वारा निर्धारित सत्र 2019-20 की 85 % फीस लेने के आदेश दिए थे

 

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