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बीकानेर,श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को भुजिया बाजार के प्राचीन चिंतामणि जैन मंदिर से भगवान महावीर की सवारी निकली। सवारी विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों में होते हुए गोगागेट के बाहर गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंची। चिंतामणि जैन मंदिर में सुबह स्नात्र पूजा, ध्वजारोहण व शाम को 108 दीपकों की आरती की गईं।
े श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास मंत्री चन्द्र सिंह पारख ने बताया कि गौड़ी पार्श्वनाथ में सवारी का पड़ाव 27 व 28 नवम्बर को रहेगा। गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर में 28 नवम्बर को सुबह साढ़े नौ बजे बड़ी पूजा होगी। बुधवार 29 नवम्बर को सुबह साढ़े नौ बजे गौड़ी पार्श्वनाथ से सवारी पुनः रवाना होकर विभिन्न जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए आरंभिक स्थल पर पहुंचकर संपन्न होगी।
चिंतामणि जैन मंदिर से भगवान महावीर की सवारी रवाना होकर नाहटा चौक के भगवान आदिनाथजी, शांतिनाथजी मंदिर, गोलछा, खजांची, रामपुरिया-राखेचा मोहल्ला, आसानियों के चौक के भगवान महावीर स्वामी मंदिर, बांठियों का चौक, सिपानी मोहल्ला, कपड़ा बाजार, सुपारी बाजार, बच्छावतों का मोहल्ला,डागा, झाबक मोहल्ला होते हुए गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंची। विभिन्न मोहल्लों में वीर मंडल, महावीर मंडल, कोचर मंडल, आदिश्वर मंडल, श्री जैन गौतम मंडल और जैन मंडल की भजन मंडलियां विभिन्न चौकों व मोहल्लों में ठहरकर राजस्थानी व फिल्मी गीतों की तर्ज पर आधारित भक्तिगीतों को थिरकते, नाचते हुए भक्ति में भाव विभोर होकर गा रहे थे। भजन मंडलियों व सवारी में शामिल श्रावक-श्राविकाओं, बच्चों का विभिन्न स्थानों पर चाय, नाश्ता से सत्कार किया गया। अनेक भजन मंडलियों के श्रावक एक सी पोशाक में थे। भजन मंडलियों का प्रशस्ति पत्र आदि से नाहटा चौक के कुशल भवन सहित विभिन्न स्थानों पर अभिनंदन किया गया। वीर मंडल पिछले 75 वर्षों से कार्तिक महोत्सव में भागीदारी निभाने व महावीर मंडल के रजत जयंती वर्ष पर अनुमोदना की गई। विभिन्न मंडलों ने भजनों की पुस्तिकाओं का भी प्रकाशन किया।
शोभायात्रा में सबसे आगे पंचरंगी जैन ध्वज, नगाड़ा वादक, पांच सजे संवरे घोड़े, बैंड पार्टियां, ’’श्री जैन धर्मोत्सव’ ’’अहिंसा परमोः धर्म’ आदर्श वाक्य अंकित व विभिन्न मंडलियां के नाम अंकित गुब्बारों, फरियों से सजे एक दर्जन ऊंट गाड़ों पर बैठे बच्चे भगवान महावीर, जैन धर्म के नारे लगा रहे थे। शोभायात्रा में चांदी कल्पवृ़़क्ष, चांदी का सिंहासन, तिगड़ों जी, देवी पद्मावती का सिंहासन शामिल था।
भगवान शांति नाथ व 24 तीर्थंकरों की चांदी की प्रतिमा को रथ पर आरुढ़ किया गया । भगवान शांतिनाथ की विभिन्न मोहल्लों में गंवली सजाकर, नारियल, नकदी भेंट कर श्रावक-श्राविकाओं ने वंदना की। ’’ श्रावकों का समूह ’’चंदन की दो चौकियां पुष्पन के दो हार, केशर भरियो बाटकों पूजो नैन कुमार’’ व ’’ जिन शासन देव की जय’’ के नारे लगाते हुए चल रहे थे ।
कार्तिक पूर्णिमा पर विभिन्न अनुष्ठान
कार्तिक पूर्णिमा पर जैन मुनि व साध्वीवृंद ने अपना स्थान परिवर्तन किया। महावीर मार्ग स्थित पार्श्वनाथ दादाबाड़ी के मंदिर में शत्रुंज्य तीर्थ का मंडप बनाया गया। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने दादा गुरुदेव के इकतीसा का पाठ, नवंकार महामंत्र का जाप, उपवास, बेला, तेला आदि की तपस्याएं की। बीकानेर के साथ कोलकाता में भी भगवान महावीर की सवारी निकाली गई।

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