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बीकानेर,विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के प्रचार में अब कृतव्यनिष्ठा से दौडऩे वाले कार्यकर्ता घट गए है। कार्यकर्ता दिहाड़ी लेकर अब प्रचार कर रहे हैं। पहले चुनाव में कार्यकर्ता प्रत्याशियों के समर्थन में दिन-रात एक कर मुफ्त में काम करते थे। राजनीति विश्लेषकों की माने अब जमाना बदल गया है। कार्यकर्ता अब प्रचार करने के लिए सुविधा चाहते है। सवारी के लिए लग्जरी एसी गाडिय़ां कार्यकर्ताओं को मिलने लगी है । चुनावी मुहिम से जुड़े लोगों के अुनसार समय के साथ लोगों की व्यस्तताएं भी बढ़ी है। ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए कार्यकर्ताओं का टोटा पडऩे लगा तो उम्मीदवारों ने उसका भी तोड़ निकाल लिया है। चुनाव प्रचार के लिए अब दिहाड़ी वाले कार्यकर्ता भी मिलने लगे हैं। इन्हें पैड वर्कर कहा जाता है। ऐसे कार्यकर्ता स्थानीय स्तर पर भी उपलब्ध हैं और बाहर से भी इनकी व्यवस्था हो जाती है। पाली विधानसभा क्षेत्र सहित कई विधानसभा क्षेत्रों में इस बार पैड वर्कर उपयोग चुनाव प्रचार में किया जा रहा है।

पैड वर्कर को रोज मिलता टारगेट
चुनाव प्रचार के लिए पैड वर्कर को भुगतान किया जा रहा है। बाहर से आए पैड वर्कर के लिए ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। पैड वर्कर को उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय से रोजाना किस इलाके में जाकर चुनाव प्रचार करना है, इसका टारगेट मिलता है। काम हो रहा है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए पैड वर्कर को एक रजिस्टर दिया जाता है, जिसमें वह इलाके का नाम, जिस मतदाता से मिला उनका नाम व पता तथा मोबाइल नंबर लिखता है। चुनाव प्रचार समाप्त कर पैड वर्कर को चुनाव कार्यालय में आकर ब्यौरा देना पड़ता है।

कई कंपनियां भी उपलब्ध करवा रही पैड वर्कर
समय की मांग को देखते हुए पेड वर्कर उपलब्ध करवाने वाली कंपनियां भी बन गई है। यह कंपनियां उम्मीदवार की मांग के अनुसार पैड वर्कर उपलब्ध करवाती है। कंपनियों के पैड वर्करों की अलग-अलग श्रेणियां हैं। पहली श्रेणी के पैड वर्कर टारगेट लेकर गली मोहल्लों में प्रचार करते हैं। दूसरी श्रेणी के पैड वर्कर सोशल मीडिया के जरिए उम्मीदवार का प्रचार करते हैं। इसमें उम्मीदवार की सभा एवं जनसंपर्क का लाइव प्रसारण करने के अलावा दिन भर की चुनावी गतिविधियों की वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करना शामिल है।

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