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बीकानेर,राजस्थान में सभी 200 विधानसभा सीटों पर मुकाबले की तस्वीर क्लियर है। इस बार चुनावों में BJP और कांग्रेस को अपने बागी उम्मीदवारों से ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे दलों से भी चुनौती मिल रही है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP), जनता जननायक पार्टी (JJP) बहुजन समाज पार्टी (BSP), आजाद समाज पार्टी(ASP) और ट्राइबल बेल्ट में मजबूत दिखने वाली BAP और BTP जैसी छोटी पार्टियां भी कई सीटों पर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस-बीजेपी को कड़ी टक्कर देती दिख रही हैं।

भास्कर ने सभी 200 सीटों का एनालिसिस किया। सामने आया कि 79 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कई छोटी-छोटी पार्टियों के नेताओं ने बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। ये सीटें कौन-कौन सी हैं और कहां, कौन, किसके लिए चुनौती बन रहा है,पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में…

कांग्रेस के लिए 23 सीटों पर बागियों ने खड़ी की मुश्किलें

अब तक की स्थिति में कांग्रेस 23 सीटों पर कांग्रेस बागियों से परेशान है। शिव से फतेह खान, बसेड़ी से खिलाड़ीलाल बैरवा, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से जौहरीलाल मीणा, शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, पुष्कर से गोपाल बाहेती, परबतसर से लच्छाराम बडारड़ा, सिवाना से सुनील परिहार, जालोर से रामलाल मेघवाल, नागौर से हबीबुर्रहमान और लूणकरणसर से वीरेंद्र बेनीवाल कांग्रेस से बगावत करके मैदान में हैं।

आलोक बेनीवाल कांग्रेस की दिग्गत नेता रहीं कमला बेनीवाल के बेटे हैं। उनका शाहपुरा से टिकट काट दिया था।
आलोक बेनीवाल कांग्रेस की दिग्गत नेता रहीं कमला बेनीवाल के बेटे हैं। उनका शाहपुरा से टिकट काट दिया था।
उधर, अन्य कांग्रेसी नेताओं में चौरासी से महेंद्र बारजोड़, सादुलशहर से ओम बिश्नोई, मनोहरथाना से कैलाश मीणा, खींवसर से दुर्ग सिंह खींवसर, देवाराम रोत बिछीवाड़ा से, राजकरण चौधरी सरदारशहर विधानसभा सीट से, अजीजुद्दीन आजाद, सवाई माधोपुर विधानसभा से, राकेश बोयत केशवरायपाटन से, रामनिवास गोयल महुआ से, नरेश मीणा छबड़ा से, करुणा चांडक गंगानगर से, गोपाल गुर्जर मालपुरा से और ब्यावर से मनोज चौहान भी कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ ही बागी बनकर चुनावी मुकाबले में कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

BJP के सामने 30 सीटों उनके बागी नेता

बीजेपी 30 सीटों पर अपनों से ही घिरती नजर आ रही है। यहां दोनों बड़ी पार्टियों के बागी उम्मीदवार मुकाबले को त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय बनाते दिख रहे हैं। शिव से रविंद्र सिंह भाटी, चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान आक्या, डीडवाना से यूनुस खान, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, झुंझूनू से राजेंद्र भांबू, सूरतगढ़ से राजेंद्र भादू, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, लाडपुरा से भवानी सिंह राजावत और खंडेला से बंशीधर बाजिया बागी हैं।

रविंद्र सिंह भाटी शिव विधानसभा से बीजेपी को बड़ी चुनौती दे रहे हैं।
रविंद्र सिंह भाटी शिव विधानसभा से बीजेपी को बड़ी चुनौती दे रहे हैं।
उधर, झोटवाड़ा से आशुसिंह सुरपुरा, सुजानगढ़ से राजेंद्र नायक, सीकर से ताराचंद धायल, सवाई माधोपुर से आशा मीणा, संगरिया से गुलाब सिंवर, सांचौर से जीवाराम चौधरी, मसूदा से जसवीर सिंह खरवा, ब्यावर से इन्द्र सिंह, मकराना से हिम्मत सिंह राजपुरोहित और लूणकरणसर से प्रभुदयाल सारस्वत ने बीजेपी से बगावत की है।

इसी तरह, कोटपूतली से मुकेश गोयल, जालोर से पवनी मेघवाल, बस्सी से जितेंद्र मीणा, फतेहपुर से मधुसूदन भिंडा, पिलानी से कैलाश मेघवाल, डग से रामचंद्र सुनेरीवाल मैदान में हैं। बयाना से ऋतु बनावत, भीलवाड़ा से अशोक कोठारी, अजमेर उत्तर से ज्ञानचंद सारस्वत, बूंदी में रूपेश शर्मा, जैतारण से योगी लक्ष्मण नाथ भी बीजेपी के बागी हैं।

81 टिकट बांटकर RLP प्रदेश में 10 सीटों पर बना रही त्रिकोणीय मुकाबला

हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने प्रदेश में 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कई मजबूत प्रत्याशियों के पीछे हटने से अब महज 10 सीटों पर ही प्रभाव डालती दिख रही है। खींवसर, मेड़ता और भोपालगढ़ में RLP के मौजूदा विधायक ही लड़ रहे हैं। परबतसर, मसूदा, बायतु, आसींद, चौमूं, कोलायत और सिवाना में RLP के प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस के लिए परेशानी बने हुए हैं और मुकाबला त्रिकोणीय बना रहे हैं।

हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP ने इस बार आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) के साथ गठबंधन में प्रत्याशी उतारे हैं।
हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP ने इस बार आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) के साथ गठबंधन में प्रत्याशी उतारे हैं।
BSP, BAP, JJP और ASP इन सीटों पर दे रही बीजेपी-कांग्रेस को टक्कर

गत चुनावों में 6 विधायक हासिल करने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) इस बार उतनी मजबूत तो नहीं लेकिन करीब 5 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी को फंसाती दिख रही है। बहुजन समाज पार्टी प्रदेश में धौलपुर, बाड़ी, हिंडौन, उदयपुरवाटी और सादुलपुर सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाती दिख रही है।

RLP के साथ गठबंधन में लड़ रही आजाद समाज पार्टी (ASP) अलवर जिले की बानसूर और थानागाजी में मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है।
BAP उदयपुर ग्रामीण, खेरवाड़ा, प्रतापगढ़, धरियावद, आसपुर, चौरासी और सागवाड़ा में मजबूत दिख रही है।
दांतारामगढ़ और सूरतगढ़ विधानसभा सीट पर JJP ने मजबूत प्रत्याशी उतार मुकाबले को रोचक बना दिया है।
वो हॉट सीटें जहां छोटे दल और बागी राष्ट्रीय पार्टियों को दिखा रहे जमीन

शिव विधानसभा : रविंद्र भाटी सहित 3 बागी

बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा में सबसे ज्यादा बागी हैं। कांग्रेस से अमीन खान, भाजपा से स्वरूप सिंह हैं। जबकि कांग्रेस छोड़ पूर्व जिलाध्यक्ष फतेह खान निर्दलीय, भाजपा छोड़ पूर्व विधायक जालम सिंह रावलोत आरएलपी से तो भाजपा छोड़ छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय मैदान में हैं। तीनों बागी दोनों पार्टियों को चुनौती दे रहे हैं।

चित्तौड़गढ़ : चंद्रभान आक्या

जयपुर की विद्याधरनगर सीट से टिकट काटने के बाद बीजेपी ने नरपत सिंह राजवी को संतुष्ट करने के लिए चित्तौड़गढ़ से टिकट दिया था, लेकिन इसके लिए बीजेपी को अपने मौजूदा विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या का टिकट काटना पड़ा। इससे नाराज आक्या अब बागी होकर मैदान में निर्दलीय हैं। बीजेपी के लिए सबसे कंट्रोवर्सियल बन चुकी इस सीट पर आक्या काफी मजबूत लग रहे हैं। यहां बीजेपी, आक्या और कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह जाड़ावत के सामने त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई है।

चंद्रभान सिंह आक्या बीजेपी के पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
चंद्रभान सिंह आक्या बीजेपी के पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
झोटवाड़ा : आशु सिंह सुरपुरा

झोटवाड़ा सीट पर बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता राजपाल सिंह का टिकट काटकर जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह को टिकट दिया है। इससे नाराज होकर राजपाल ने बगावत कर दी थी, लेकिन आलाकमान के मनाने पर शेखावत ने नामांकन वापस ले लिया।

कांग्रेस ने यहां मंत्री लालचंद कटारिया के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद युवा अभिषेक चौधरी को टिकट दिया है। फिलहाल अभिषेक के सामने राज्यवर्धन मजबूत लग रहे हैं, लेकिन बीजेपी के बागी आशु सिंह सुरपुरा ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है।

ज्योति मिर्धा के सामने पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में हैं।
ज्योति मिर्धा के सामने पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में हैं।
नागौर : हबीबुर्रहमान

नागौर विधानसभा में बीजेपी-कांग्रेस से मिर्धा परिवार आमने सामने हैं। कांग्रेस से हरेंद्र मिर्धा, भाजपा से ज्योति मिर्धा है, जबकि टिकट काटने से नाराज हुए पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में हैं। जाट और मुस्लिम बाहुल्य सीट पर एक ही परिवार से आने वाले काका-भतीजी को हबीबुर्रहमान ने संकट में ला दिया है। त्रिकोणीय मुकाबला टक्कर का हो रहा है।

डीडवाना : यूनुस खान

वसुंधरा सरकार में केबिनैट मंत्री रहे यूनुस खान को पिछली बार टोंक से सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़वाया गया था। लेकिन इस बार बीजेपी ने टिकट ही काट दिया। इस बात से नाराज हुए यूनुस न अब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हैं और बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं। समीकरण कुछ ऐसे हैं कि डीडवाना की फाइट निर्दलीय वर्सेस कांग्रेस हो गई है। बीजेपी के जितेंद्र सिंह जोधा यहां कड़ा संघर्ष कर रहे हैं।

नागौर की डीडवाना सीट दूसरी सबसे हॉट सीटों में से एक है। यहां यूनुस खान बड़ी चुनौती दे रहे हैं।
नागौर की डीडवाना सीट दूसरी सबसे हॉट सीटों में से एक है। यहां यूनुस खान बड़ी चुनौती दे रहे हैं।
किशनगढ़ : सुरेश टांक

किशनगढ़ सीट पर एक बार फिर मौजदा निर्दलीय विधायक सुरेश टांक कांग्रेस-बीजेपी को परेशानी देते दिख रहे हैं। बीजेपी के पिछले चुनाव के प्रत्याशी विकास चौधरी टिकट काटने से नाराज होकर कांग्रेस में चले गए और वहां से तुरंत टिकट भी हासिल कर लिया। वहीं बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को मैदान में उतारा है। यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जाट प्रत्याशी हैं। ऐसे में एक बार फिर यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो चला है।

लूणकरणसर : कांग्रेस को वीरेंद्र बेनीवाल और बीजेपी को प्रभुदयाल सारस्वत से चुनौती

बीकानेर जिले की लूणकरणसर सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बागी मुकाबले को चतुष्कोणीय बना चुके हैं। यहां बीजेपी से मौजूदा विधायक सुमित गोदारा और कांग्रेस के राजेंद्र मुंड के सामने कांग्रेस के पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल व बीजेपी के बागी प्रभुदयाल सारस्वत ने ताल ठोक रखी है। सारस्वत और बेनीवाल ने यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही संकट में ला दिया है।

पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल का इस बार लूणकरणसर से टिकट काट दिया गया था।
पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल का इस बार लूणकरणसर से टिकट काट दिया गया था।
सांचौर : जीवाराम चौधरी

सांचौर विधानसभा सीट पर नाम वापसी के बाद कुल 9 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी के सांसद देवजी एम पटेल का मुकाबला कांग्रेस के मंत्री सुखराम बिश्नोई के साथ होगा। इसके अलावा इस सीट पर 7 प्रत्याशी और भी मैदान में हैं। इनमें से एक भाजपा के बागी जीवाराम चौधरी बीजेपी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, उन्हें भाजपा के ही दानाराम का भी खुला समर्थन मिला हुआ है।

*शाहपुरा : आलोक बेनीवाल*

शाहपुरा विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के उपेन यादव और कांग्रेस के मनीष यादव के बीच है। मनीष यादव ने 2018 में भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब वे निर्दलीय आलोक बेनीवाल से हार गए थे। मौजूदा विधायक आलोक बेनीवाल एक बार फिर यहां से निर्दलीय ही चुनाव मैदान में है और कांग्रेस-बीजेपी का खेल बिगाड़ने में लगे है।

*सवाईमाधोपुर : आशा मीणा*

सवाई माधोपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा व कांग्रेस के दानिश अबरार के बीच मुख्य मुकाबला है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहीं और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशा मीणा यहां टिकट काटने से नाराज हैं और बागी बनकर मैदान में हैं। किरोड़ीलाल मीणा ने अपना आखिरी चुनाव बताते हुए भावुक अपील भी कर दी थी। लेकिन आशा मीणा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यहां कुल 13 प्रत्याशी मैदान में एक एआईएमआईएम के जफर अहमद कांग्रेस के लिए भी टेंशन बने हुए हैं।

किरोड़ीलाल मीणा के सामने आशा मीणा ने निर्दलीय ताल ठोककर परेशानी खड़ी कर दी है।
किरोड़ीलाल मीणा के सामने आशा मीणा ने निर्दलीय ताल ठोककर परेशानी खड़ी कर दी है।
बसेड़ी : खिलाड़ी लाल बैरवा

टिकट नहीं मिलने पर बसेड़ी विधायक और एससी एसटी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी लाल बैरवा बागी बनकर मैदान में है। भारतीय जनता पार्टी से बसेड़ी विधानसभा सीट पर सुखराम कोली मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने संजय जाटव को मैदान में उतारा है। ऐसे में पायलट खेमे के और बड़े नेता खिलाड़ी लाल के बागी होने से कांग्रेस यहां बैकफुट पर है।

वल्लभनगर : दीपेंद्र कुंवर

उदयपुर जिले की हॉट सीट कहे जाने वाली वल्लभनगर विधानसभा में भाजपा ने पहले आरएलपी नेता रहे उदयलाल डांगी को मैदान में उतारा तो जनता सेना ने रणधीर सिंह भीण्डर की पत्नी दीपेंद्र कुंवर को मैदान में उतार दिया है। वहीं कांग्रेस ने यहां मौजूदा विधायक प्रीति शक्तावत को ही अपना उम्मीदवार बनाया है।

ऐसे में अब वल्लभ नगर में त्रिकोणीय मुकाबला होना तय है। यहां गौर करने वाली बात है कि उप चुनाव में कांग्रेस की प्रीति शक्तावत ने जीत दर्ज की थी। जबकि भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी।

वल्लभनगर सीट पर जनता सेना हमेशा कांग्रेस-बीजेपी की मुसीबत बढ़ाती है। इस बार रणधीर सिंह भींडर की पत्नी मैदान में हैं।
वल्लभनगर सीट पर जनता सेना हमेशा कांग्रेस-बीजेपी की मुसीबत बढ़ाती है। इस बार रणधीर सिंह भींडर की पत्नी मैदान में हैं।
राजसमंद : दिनेश बडाला

बीजेपी के कब्जे वाली राजसमंद सीट अब हॉट सीट बन गई है। यहां बीजेपी की विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी को भाजपा के बागी दिनेश बडाला निर्दलीय टक्कर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने भाजपा की सीट पर कब्जा जमाने के लिए नारायण सिंह भाटी को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कुल 8 प्रत्याशी मैदान में हैं।

*आदर्शनगर : उमरदराज*

आदर्शनगर में चार बार के पार्षद उमरदराज ने आम आदमी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर दिया है, जिससे कांग्रेस विधायक रफीक खान की नींद उड़ गई है। उमरदराज पिछले छह महीने से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। उमरदराज तीन वार्डों से चार बार के पार्षद रह चुके हैं, जिसकी वजह से रफीक को खासा नुकसान हो सकता है। यहां बीजेपी की टिकट पर रवि नैय्यर मैदान में हैं।

सागवाड़ा : बीटीपी-बीएपी ने रोचक बनाया मुकाबला

सागवाड़ा विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जिसमें से 3 निर्दलीय भी हैं। यहां भाजपा, कांग्रेस के साथ ही स्थानीय पार्टी बीटीपी और बीएपी के प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है। भाजपा से शंकर डेचा, कांग्रेस से कैलाश कुमार रोत, बीटीपी से मोहनलाल डिंडोर और बीएपी से मोहनलाल रोत के बीच मुकाबला है।

दुर्ग सिंह चौहान खींवसर सीट से राजपूत वोट एकतरफा करने में माहिर हैं।
दुर्ग सिंह चौहान खींवसर सीट से राजपूत वोट एकतरफा करने में माहिर हैं।
खींवसर : हनुमान बेनीवाल की सीट पर दुर्ग सिंह चौहान बड़ी चुनौती

आरएलपी का गढ़ कहे जाने वाले खींवसर में पिछले 3 चुनाव और एक उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल और उनके भाई ही जीतते आ रहे हैं। यहां कांग्रेस और बीजेपी में दूसरे और तीसरे नंबर की लड़ाई होती आई है। लेकिन इस बार दोनों पार्टियां यहां के नतीजे बदलना चाहती हैं।

बीजेपी ने यहां आरएलपी के ही नेता रहे रेवतराम डांगा व कांग्रेस ने कुचेरा नगरपालिका के चेयरमैन और युवा नेता तेजपाल मिर्धा को टिकट देकर हनुमान बेनीवाल के सामने उतारा है। इसी सीट पर कांग्रेस के बागी दुर्गसिंह चौहान भी निर्दलीय मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला हनुमान बेनीवाल और दुर्गसिंह चौहान में लग रहा है।

भोपालगढ़ : पुखराज गर्ग

भोपालगढ़ विधानसभा सीट पर रालोपा के मौजूदा विधायक पुखराज गर्ग, पूर्व राज्य मंत्री भाजपा की कमसा मेघवाल और कांग्रेस की गीता बरवड़ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। गीता बरवड़ तीन बार के विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री नरपत बरवड़ की बेटी हैं। वहीं कमसा मेघवाल दो बार विधायक रह चुकी हैं। वे भाजपा के टिकट पर 2008 और 2013 पर चुनाव जीत चुकी हैं। पिछले कार्यकाल में कमसा मेघवाल राज्यमंत्री भी रही थीं। वहीं रालोपा के पुखराज गर्ग मौजूदा रालोपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

तुरणराय कागा चौहटन ही नहीं पूरे बाड़मेर में शरणार्थी वोटरों में पकड़ रखते हैं।
तुरणराय कागा चौहटन ही नहीं पूरे बाड़मेर में शरणार्थी वोटरों में पकड़ रखते हैं।
चौहटन : तरुणराय कागा

चौहटन विधानसभा सीट पर बीजेपी ने पुराने प्रत्याशी आदूराम मेघवाल को फिर से मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने वर्तमान विधायक पदमाराम मेघवाल को ही टिकट दी है। इधर बीजेपी से बागी हुए तरुण राय कागा ने अब आरएलपी का दामन थाम लिया है और आरएलपी के टिकट पर यहां से BJP-कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। तरूणराय कागा शरणार्थी वोटरों में पकड़ रखते हैं। इससे सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है।

चौरासी : राजकुमार रोत, महेंद्र बरजोड़ और रणछोड़ ताबियाड़

यहां BJP से पूर्व राज्य मंत्री सुशील कटारा मैदान में है तो वहीं कांग्रेस भी अपने पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर BTP से पहली बार विधायक बने राजकुमार रोत इस बार नई पार्टी बीएपी से ताल ठोक रहे हैं। वहीं BTP ने यहां रणछोड़ ताबियाड़ को टिकट देकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। कांग्रेस के बागी महेंद्र बरजोड़ ने यहां से निर्दलीय पर्चा भर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है।

चौरासी से मौजूदा विधायक राजकुमार रोत इस बार खुद की पार्टी BAP से मैदान में हैं।
चौरासी से मौजूदा विधायक राजकुमार रोत इस बार खुद की पार्टी BAP से मैदान में हैं।
मावली : कुलदीप सिंह

कांग्रेस से पूर्व विधायक व प्रधान पुष्करलाल डांगी, भाजपा से केजी पालीवाल तो आरएलपी से भाजपा से बागी हुए कुलदीप सिंह चुनाव मैदान में हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और कुलदीप सिंह भाजपा को अच्छा खासा नुकसान कर रहे हैं।

*मेड़ता : इंदिरा बावरी*

मेड़ता में आरएलपी की मौजूदा विधायक इंदिरा बावरी एक बार फिर जनता के दरबार में है। वहीं उनके सामने पिछली बार निर्दलीय लड़कर दूसरे नंबर पर रहने वाले लक्ष्मणराम कलरू अब BJP से प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ रहे है। कांग्रेस ने यहां अपना दांव चिमन वाल्मीकि पर लगाया है। मुख्य मुकाबला बीजेपी और आरएलपी में ही होना तय है।

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