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बीकानेर,कोलायत,कोलायत में दो दिग्गजों के बीच छिड़ी चुनावी जंग ने कोलायत विधानसभा क्षेत्र को फिर से प्रदेश की सबसे हॉट सीट बना दिया है। देवीसिंह भाटी की भाजपा में वापसी के बाद टिकट पर चली उथल-पुथल ने एकबारगी सीनियर भाटी को थोड़ा निराश किया लेकिन पोते के नाम टिकट ट्रांसफर करवा उन्होंने पहले पार्टी में वजूद दिखाया। अब मैदान में उतरकर पूरी ताकत झोंक दी है। अंशुमानसिंह भाटी या कहें कि देवीसिंह ने हालांकि कोलायत में लूट-भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया है लेकिन जन-जुड़ाव को वोट में बदलने के लिए बड़ा दाव भावनात्मक है। पहले देवीसिंह खुद मैदान में उतरने को तैयार थे और अपनी आखरी इनिंग बता लोगों को जोड़ रहे थे। अब स्व.महेन्द्रसिंह भाटी की ही तरह उनके बेटे अंशुमान को जनता की सेवा में समर्पित करने की बात कह रहे हैं।

सीनियर भाटी का यह भावनात्मक प्रहार कांग्रेस के उस भंवरसिंह के खिलाफ है जिसने सात बार से लगातार जीत रहे देवीसिंह भाटी का विजय रथ रोका। दूसरी बार उनकी पुत्रवधू पुनमकंवर को हराया। एक तरह से भंवरसिंह भाटी ने अपने पिता रूघनाथसिंह की दो हार का बदला दो-दो से बराबर कर दिया। अब दोनों परिवारों के बीच यह पांचवीं भिड़ंत है। इस भिड़ंत में भंवरसिंह के पास सबसे बड़ा हथियार है, विकास। दावा कर रहे हैं, 35 साल में मिलाकर जितना काम नहीं हुआ उससे कई गुना ज्यादा साढ़े तीन साल में कर दिया।

भाटियों की भिड़ंत के बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने रेवंतराम पंवार के रूप में तुरूप का पत्ता चला है। हालांकि इसके अलग-अलग मायने बताए जा रहे हैं लेकिन दो बार विधायक रहे दलित नेता पंवार को सामान्य सीट पर उतार समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है।

प्रत्याशियों की संख्या के लिहाज से देखें तो जिले की सात विधानसभा सीटों में सबसे कम सात उम्मीदवार कोलायत में ही है। इसके बावजूद हर प्रत्याशी का एक खास गणित है। कांग्रेस, भाजपा, रालोपा के तीन प्रत्याशियों के बीच विमलादेवी उपाध्याय निर्दलीय, मनफूल कड़वासरा अभिनव राजस्थान पार्टी और प्रतापराम बसपा से मैदान में हैं।

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