बीकानेर,कल्याण मित्र स्व. शांतिलाल सुराणा सेवा अभिनन्दन ग्रंथ लोकार्पण का भव्य समारोह पार्क पैराडाइज में समाज के गणमान्य जनों, परिवारजनों व रिश्तेदारों के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
जिनेन्द्र सुराणा ने बताया कि समारोह में अतिथि के रूप में डॉ. बी. डी. कल्ला, सिद्धि कुमारी, शिवरतन अग्रवाल (फन्ना बाबू), सुमेरचंद जैन, इंदरमल सुराना, सोहनलाल बैद मंच पर मौजूद रहे। इस अवसर पर अनेक चिकित्सक भी उपस्थित थे।
समारोह में कल्याण मित्र स्व. श्री शांतिलाल सुराणा के जीवन पर आधारित एक शानदार डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसकी सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। समारोह का शुभारम्भ युवा संगीतकार यश बैद ने नवकार मंत्र से किया तथा संगीतकार महेंन्द्र कोचर द्वारा रचित गीत की प्रस्तुति यश बैद ने दी।
समारोह का कुशल संचालन श्रेयांश जैन ने किया।
पधारे हुए अतिथियों का स्वागत पुष्पादेवी सुराणा, संगीता – जिनेन्द्र सुराणा, सरिता – अनिल कोचर, सीए कीर्ति सुराणा, पूजा सुराणा एवं समस्त सुराणा परिवार ने किया।
समारोह में जयचंदलाल डागा, कन्हैयालाल बोथरा, विनोद बाफना, सुरेन्द्र जैन बद्धानी, पदम दफ्तरी, लूनकरण जैन, रवि पुगलिया, डॉ. आर.पी. अग्रवाल, डॉ. पिन्टू नाहटा, डॉ.आशीष जोशी, डॉ. धनपत कोचर, डॉ. एल. एन. अग्रवाल, डॉ. मानक गुजरानी, डॉ. देवेन्द्र अग्रवाल, डॉ. जेठमल मरोठी, डॉ. राकेश रावत, डॉ. विकास पारीक, डॉ. सुभाष जैन, डॉ. संगीता जैन, इंदरचंद सेठिया, प्रकाश भूरा, सुरेन्द्र भूरा, भंवरलाल मरोठी, सुशील बच्छावत, टी के जैन, वीरेन्द्र अभानी, सम्पत बैद सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।
सेवाभावी व्यक्तित्व के धनी, कल्याण मित्र स्व. श्री शान्तिलाल सुराणा ने लगभग तीन दशकों से अर्थोपार्जन को गौण कर “सेवा धर्म परम गहना योगिनाम् अपि अगम्यम्’ शास्त्रीय उक्ति को चरितार्थ करते हुए अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को जैन समाज विशेषतः तेरापंथ धर्म संघ के साधु-साध्वियों की चिकित्सा सेवा में बिताया।
चरित्र आत्माओं की चिकित्सा सेवा में सहयोगी होने से उन्हें आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने सन् 1997 मे “श्रद्धानिष्ठ श्रावक” सम्बोधन से सम्बोधित किया।
सन् 2002 में श्रीमती मनोहरी देवी डागा समाज सेवा पुरस्कार कोबा, अहमदाबाद में आचार्य महाप्रज्ञ जी के सानिध्य में श्री तेरापंथ महासभा कलकत्ता द्वारा प्रदान किया गया। सन् 2007 में आचार्य महाप्रज्ञ जी ने बीकानेर में आपश्री को “कल्याण मित्र” सम्बोधन से सम्बोधित किया। सैकड़ों साधु-साध्वियों ने चिकित्सा सेवा पाकर उनका उल्लेख समय- समय पर सभाओं में किया है। बीकानेर चोखले बीकानेर, गंगाशहर, भीनासर, नाल, उदासर, देशनोक, नोखा, कालू, लूणकरणसर, बीदासर, सरदारशहर, श्रीडूंगरगढ़, लाडनू, छापर की विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें समय-समय पर सम्मानित किया।
सुराणा समाज बीकानेर ने भी ‘सुराणा कुल गौरव’ का सम्मान प्रदान किया।
पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी ने सन 1995 में अपने प्रवचन में फरमाया था कि शान्तिलाल जिस लगन, निष्ठा तत्परता से रुग्ण साधु-साध्वियों की सेवा करता है, वह सराहनीय और उल्लेखनीय है।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने सन् 2002 में कहा था कि ‘शन्तिलाल का सम्मान उनकी सेवा के सामने छोटा है।
आचार्य श्री महाश्रमण जी ने सन् 2014 में फरमाया था कि ‘शान्तिलाल जी रात-दिन सेवा में लगे रहते हैं, इनका भोजन- पानी कब होता भगवान जाने।
आपने 2016-18 तक अणुव्रत समिति, बीकानेर के उपाध्यक्ष और 2018-20 तक अणुक्त समिति के संरक्षक धर्मनिष्ठ, संघनिष्ठ श्रावक श्री शान्तिलाल सुराणा अपने सेवा कार्यों के निर्वहन के साथ-साथ अपने व्यवसायिक क्षेत्र जीवन बीमा (एलआईसी) में भी निरन्तर ऊंचाईया प्राप्त करते रहे। उन्हें इस क्षेत्र में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। आप पिछले 32 वर्षों से अधिक समय से एलआईसी ऑफ अभिकर्ता की सर्वोच्च क्लब के सदस्य थे।
आपने नर सेवा नारायण सेवा के मूल मन्त्र को अपनाया।