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बीकानेर,देश में आजादी के साथ सत्ता संभालने वाले राजनीतिक दल कांग्रेस में ठहराव आ गया है। कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद, अंधभक्ति, चापलूसी ओर नेतृत्वहीनता ने पतन के कगार पर पहुंचा दिया है।। राष्ट्रीय कांग्रेस सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका के दुपट्टे में सिमट गई है। इन्हीं के निर्णय, नीति, निर्देश औऱ समझ अब कांग्रेस बन गई है। राहुल, प्रियंका औऱ सोनिया बस यही कांग्रेस। नतीजा सामने है। गांधी परिवार के जी हजूरी करने वाले कांग्रेसी उनके साथ है। यही हालत रहे तो कांग्रेस विहीन भारत का बीजेपी का सपना साकार होने में देर नहीं है। कांग्रेस में जी-23 नेताओं के समूह की अनदेखी ही कांग्रेस को ले डूबेगी। कपिल सिब्बल जो कह रहे हैं उनका विरोध किया जा रहा है। गुलाम नब्बी आजाद की कांग्रेस राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक बुलाने के आग्रह को अनसुना करने का अर्थ पुराने कांग्रेस नेताओं की उपेक्षा करना है। इससे कांग्रेस अनुभवहीनता के कागार पर पहुंच जाएगी। राहुल कांग्रेस और जी -23 नेताओं के समूह की कांग्रेस दो फाड़ होना कांग्रेस के अस्तित्व पर संकट जैसा होगा। पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष के बिना चल रही है। सारे निर्णय गांधी परिवार मनमर्जी से ले रहा है। बहुत सारे कांग्रेसी पार्टी छोड़ चुके हैं। इससे ज्यादा पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस की सरकारें है- इन राज्यों में बने हालातों से दुर्गति को समझा जा सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर झटका देते हैं तो क्या कांग्रेस सँभल पाएगी ?

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