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बीकानेर,आधी सदी से भी ज्यादा समय से निरंतर सृजनरत हमारे समय के महत्त्वपूर्ण कवि सरल विशारद की राजस्थानी कविताओं का संग्रह इतने विलंब से आना निसंदेह आधुनिक राजस्थानी कविता के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि अपनी विशिष्ट मौलिकता से ओतप्रोत, शिल्पगत सौंदर्य, कथ्य, शैली और गहन अर्थगत संभावनाओं से संपन्न ये कविताएं अब तक पुरस्कृत राजस्थानी कविता संग्रहों के बराबर ही नहीं, उनसे आगे की है।

शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की ओर से आशीर्वाद भवन, पवनपुरी की व्यास पीठ में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिष्ठित कवि – शिक्षाविद भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने वरिष्ठ कवि सरल विशारद के राजस्थानी कविता संग्रह ‘माथै रो बैम’ का लोकार्पण करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन में ये विचार रखे।
व्यास ने कहा कि सरल विशारद के इस संग्रह की कविताओं का तेवर और तासीर, इसका मिजाज और मर्यादा अन्य राजस्थानी कवियों से अलग और मौलिक होने से इसका आना राजस्थानी कविता को निश्चित ही नूतन आयाम देगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि दशकों पहले के कवि सम्मेलनों के दौर में सरल विशारद के राजस्थानी दूहे श्रोताओं द्वारा खूब सराहे जाते रहे हैं और इस संग्रह की विविध भावभूमि की कविताएं लंबे समय तक पाठकों की स्मृति में बसी रहेगी।

विशिष्ट अतिथि बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष मनमोहन कल्याणी ने कहा कि सरल विशारद जीवन में उल्लास, उमंग और उल्लास के भाव जगाने वाले कवि हैं। इनकी कविताएं निराश – हताश मनुष्य में भी आशा और विश्वास जाग्रत करने में समर्थ है।

चर्चित कवि – आलोचक डॉ नीरज दइया ने विशिष्ट वक्ता के रूप में सरल विशारद की हिंदी और राजस्थानी की सुदीर्घ काव्य सृजन यात्रा का विश्लेषण करते हुए उन्हें जनचेतना का कवि बताया और कहा कि उनकी कविताएं हमें हमारे समय से साक्षात्कार कराती हैं।

सुपरिचित कवि – कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कवि सरल विशारद की साहित्य यात्रा से रूबरू कराते कहा कि ये युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने वाले और उन्हें साथ लेकर चलने वाले कवि हैं। ऐसे सहज – सहज स्वभाव के कवि विरल ही होते हैं।

कवि नवनीत पाण्डे ने लोकार्पित संग्रह में से कविताओं का प्रभावी वाचन करके कहा कि राजस्थानी में ऐसी कविताओं का आना स्वागत योग्य है।

श्रीमती आनंद कौर व्यास, अशफाक कादरी, जुगल पुरोहित, ललित व्यास समेत अन्य प्रबुद्ध जनों ने भी अपने विचार रखे। कवि सरल विशारद ने लोकार्पित पुस्तक में से चुनिंदा कविताओं का पाठ कर वातावरण काव्यमय बना दिया।
कवि – गीतकार राजेंद्र स्वर्णकार ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रदर्शित किया।
इस संग्रह का प्रकाशन कलासन प्रकाशन, बीकानेर ने किया है।

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