बीकानेर,अब बामुश्किल पंजाब के विधानसभा चुनाव में 6 महीने भी शेष नहीं रह गए लगते। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पंजाब में चुनाव मार्च के महीने में होना सुनिश्चित है।जब चुनाव इतने नजदीक आ गए हों और उस पर सत्ता परिवर्तन की विवशता हो तो निश्चित रूप से समझ लेना चाहिए कि पंजाब के सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में ताकत दो खेमों में बंट चुकी है। अब वहां बेशक ऊपर से कितनी ही लीपापोती की जाए लेकिन अंदर से सब कुछ स्पष्ट है। यह भी एक सच है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बहुत वर्षों तक पंजाब की मुख्य ताकत रहे और आज भी अपना असर रखते हैं। उनके इस असर को जल्दी से न कांग्रेस आलाकमान कम कर सकती है और न भारतीय जनता पार्टी की गिद्ध दृष्टि ही।
भारतीय जनता पार्टी को यह अवश्य समझ लेना चाहिए कि पंजाब में फिलहाल उसके लिए कोई संभावनाएं नहीं हैं। जो कुछ जमीन राजनीतिक दृष्टि से या वहां की पतंगबाजी के आकाश में दिखाई दे रही है वह केवल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिखाई दे रही है। वहां अकाली दल भी बहुत बड़ी ताकत है लेकिन अकाली दल मौजूदा किसान आंदोलन के चलते लगता है कि बहुत पिछड़ गया है। आज पूरा पंजाब किसान आंदोलन के रूप में आग उगल रहा है जिसका कमोबेश नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में है क्योंकि गाहे-बगाहे इसे गर्मी कांग्रेस ने ही दी है लेकिन यह भी एक सच है कि बहुत चतुराई के साथ आम आदमी पार्टी ने इस आंदोलन को अपना रंग देने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। समय-समय पर कांग्रेस के द्वारा सजाई हुई पूजा की सामग्री को चालाकी से आम आदमी पार्टी ने इस्तेमाल किया और अपना मतलब साध। इसके चलते स्पष्ट तौर पर यह बात सामने आ गई है कि वहां का मतदाता या तो आम आदमी पार्टी के साथ होगा या फिर दो खेमों में बंटी कांग्रेस के पक्ष में खड़ा होगा। ऐसी राजनीतिक विकटता के चलते जिसमें सत्ता के दो केंद्र हो गए हों कैसे माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री का ताज नवजोत सिद्धू या पुनः कैप्टन अमरिंदर सिंह पहन सकेंगे। हां फिलहाल तो यही लगता है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नवजोत सिद्धू ने जिस तरह अपना परचम लहराया और कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया उससे एक बारगी माना जा सकता है कि नवजोत सिद्धू फिलहाल कांग्रेस की डगमग करती नैया को पार लगाने के लिए हीरो के रूप में सामने हैं।मगर वहां की राजनीतिक पतंग बाजी के पेंच साफ बताए दे रहे हैं कि यह भी हो सकता है कांग्रेस दो खेमों में बंटकर सामने आए। कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिद्धू को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन दे दें या यह भी हो सकता है कि आम आदमी पार्टी बराबर के स्थान पर खड़ी हो तो नवजोत सिद्धू उसे अपना समर्थन दे दें। नवजोत सिद्धू व कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों का ही उद्देश्य हो सकता है एक दूसरे को रोकना ऐसे में आम आदमी पार्टी का सत्ता की तरफ आगे बढ़ जाना बहुत हद तक संभव लगता है। एक बहुत बड़ा सकारात्मक बिंदु यह भी हो सकता है कि पिछली बार बहुत उम्मीदों के बावजूद आम आदमी पार्टी कुछ अधिक हासिल नहीं कर सकी जिसकी लोगों के मन में कसक बाकी रह गई जो आगामी चुनाव में बहुमत के रूप में सामने आ सकती हैं। एक कारण यह भी हो सकता है जिस तरह आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लाख कोशिशों के बावजूद पूरी ताकत के साथ सत्ता में वापसी की और जिस तरह दिल्ली में बुनियादी तौर पर विकास के कार्य करके दिखाएं आम देशवासी के दिलों दिमाग में यह बात अवश्य आई है कि आम आदमी पार्टी को यदि पूर्ण राज्य में सत्ता में आरूढ़ होने का मौका मिल जाए तो निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी वहां के मतदाताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने आप को साबित कर सकती है। आज पूरे देश का मतदाता न कांग्रेस से खुश है और न भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व से संतुष्ट है जिसके चलते आज हर आदमी को पंजाब सबसे मुकम्मल आसमा के रूप में दिख रहा है जहां आम आदमी पार्टी अपनी राजनीतिक पतंगबाजी के पेंच बखूबी लड़ा सकती है और उसका परिणाम अपने हक में हासिल कर सकती है।