बीकानेर,राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से जारी की गई पांच नई गारंटियों में कांग्रेस के वापस सत्ता में आने के बाद गोधन योजना शुरू करने और इस योजना के तहत 2 रुपए किलो गोबर खरीदने की गारंटी दी गई है। राजस्थान गो सेवा परिषद राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार और भारत सरकार के नीति आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाती रही है। राजस्थान सरकार के आदेशों के आधार पर परिषद की ओर से कृषि और वेटरनरी विश्व विद्यालय के वैज्ञानिकों की कमेटी ने गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने की विधि तय की है। तत्कालीन संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के नेतृत्व में कृषि विभाग, पशु पालन विभाग, वेटरनरी और कृषि विश्व विद्यालय की तरफ से बीकानेर जिले के हर गांव से दो युवा को गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। अब गहलोत ने गोधन योजना में गोबर खरीद की गारंटी देकर राजस्थान गो सेवा परिषद के आंदोलन को एक मुकाम तक पहुंचा दिया है। पिछले महीनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार गोविंद चतुर्वेदी के साथ फोन पर आपसी बातचीत में राजस्थान गो सेवा परिषद के इस आंदोलन का जिक्र किया था। उन्होंने कांसेप्ट नोट मांगा था। जिसमें गोपालक को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले। गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रण बने। यह उत्पाद रसायनिक खेती का विकल्प हो। गोबर गोमूत्र उद्यमिता का नया सेक्टर बने। गोपालन फायदे का धंधा हो। गोधन सड़कों पर नहीं घूमे। यह मुददे 2016 से राजस्थान गो सेवा परिषद उठाती रही है। 5 जनवरी 2019 को इन मुद्दों पर जयपुर में राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। जिसमें देशभर से इस दिशा में काम करने वाली संस्थाओं ने भाग लिया। मुख्यमंत्री जी को भी आमंत्रित किया गया था। वे शामिल नहीं हो पाए। राजस्थान सरकार के मंत्री प्रमोद भाया जैन, बी डी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, संवित सोमगिरि महाराज, आईसीएआर के वैज्ञानिक शामिल हुए। छत्तीसगढ़ से भी प्रतिनिधि आए थे। बाद में छत्तीसगढ़ ने गोबर गोमूत्र खरीदने की घोषणा कर दी। सीएमओ ने राष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट भी मांगी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से आयोजन की सफलता के लिए बधाई पत्र भी आया। अब गोधन योजना में गोबर का मूल्य देने की गारंटी दी गई है। इससे राजस्थान गो सेवा परिषद के उद्देश्यों को संबल मिला है। अब तक इस दिशा में किया गया कार्य सार्थक दिशा ले रहा है। परिषद इस मुद्दे को लेकर 13 राज्यों की 168 संस्थाओं के साथ सक्रिय है। संस्था के राष्ट्रीय संयोजक डा. ए.के. गहलोत इस दिशा में प्रयासरत है। परिषद की ओर से 13 जनवरी 2024 को गोबर गोमूत्र प्रसंस्करण को प्रोत्साहन देने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा बल्लभ भाई कथिरिया को पहला पुरस्कार दिया जाएगा। अगले वर्ष से गोबर गोमूत्र की खरीद शुरू हो सकेगी। ऐसी उम्मीद है।
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