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बीकानेर,राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने बुधवार को पूर्व विधायक रेवंतराम पंवार को पार्टी ज्वाइन करवाई। पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से एक-एक बार विधायक रह चुके पंवार ने बीकानेर लोकसभा का चुनाव भी कांग्रेस की टिकट पर लड़ा था लेकिन हार गए। रालोपा ज्वाइन करने के बाद बातचीत में रेवंतराम पंवार ने कहा, दलित होते हुए भी रिजर्व की बजाय सामान्य सीट कोलायत से चुनाव लड़ूंगा। यह मेरा गृह विधानसभा क्षेत्र है। हर हाल में चुनाव जीतूंगा।

रेवंतराम पंवार ने बुधवार रालोपा की सत्ता संकल्प यात्रा के दौरान रावतसर में पार्टी ज्वाइन की। रालोपा प्रमुख एवं सांसद हनुमान बेनीवाल ने उन्हें माला पहनाई। इस मौके पर बेनीवाल ने कहा, रालोपा लोकतांत्रिक भावनाओ में विश्वास रखती है। इसीलिए जनता से जुड़े हुए ऐसे कई जन प्रतिनिधि जिनका भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने मान-सम्मान नही रखा वे रालोपा में आ रहे हैं। आगामी दिनो में भी ऐसे कई नेता पार्टी ज्वाइन करेंगे। सांसद बेनीवाल ने कहा मेघवाल समाज के कद्दावर नेता रेवंत राम पंवार के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।

रेवंतराम ने नोखा से तीन चुनाव लड़े दो जीते, कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के विधायक बने।
1993 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के चुन्नीलाल इंदलिया को हराकर विधायक बने।
1998 में रेवंतराम कांग्रेस में चले गए और भाजपा से गोविंदराम मेघवाल आए। गोविंदराम को हराकर इस बार रेवंतराम कांगेस के विधायक बन गए।
2003 में फिर पाला बदला। इस बार गोविंदराम कांग्रेस में थे और रेवंतराम भाजपा में। किस्मत गोविंदराम के साथ रही और वे चुनाव जीत गए। रेवंतराम हार गये।

रेवंतराम पंवार ने इस बार फिर खाजूवाला से कांग्रेस की टिकट मांगी थी लेकिन नहीं मिली। भाजपा में भी पार पड़ती नहीं दिखी। ऐसे में उन्होंने रालोपा का हाथ थामा और कोलायत को चुनावी मैदान बनाया है। कोलायत में एससी वर्ग के वोट सर्वाधिक है। यहां कांग्रेस ने अपने मंत्री भंवरसिंह भाटी का तीसरी बार टिकट रिपीट किया है। देवीसिंह भाटी फिर से भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसे मे भाजपा से उन्हें या उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलने की संभावना है। ऐसे में रेवंतराम इन दो दिग्गजों के बीच जातीय समीकरण साधते हुए विधानसभा तक पहुंचने का रास्ता निकालना चाहते हैं। रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की भी यही रणनीति है।

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