बीकानेर,सुर जी_ हम 1999 से आपके साथ है या यूं कहे कि आपके पीछे है तो भी गलत नही होगा । आपने 2003 मे कहा कि विश्वविद्यालय के लिए भूख हड़ताल – तो हम 5 दिन भूखे रहे, 2004 में कहा कि ABVP प्रत्याशी के साथ रहो, तो मेरी टिकट कटने के बावजूद नापसंद उम्मीदवार को वोट डाले, 2006 में आपने कहा कि बीकानेर यूनिवर्सिटी मे परीक्षा शुल्क वृद्धि के खिलाफ बीकानेर संभाग में शैक्षणिक बंद करवाना है तो बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर मे पूर्णतय शैक्षणिक बंद करवाया , 2007 मे आपने शहर की लचर कानून और टेफिक् व्यवस्था के खिलाफ चक्का जाम का कहा तो हम आपके साथ, 2008 में आपने हमे कहा कि सिद्धि कुमारी जी का चुनाव संभालना है हमने रानीबाजार का मुख्य चुनाव कार्यालय मे मोर्चा संभाला, हालांकि विजय के बाद विधायक महोदया ने कार्यकर्ता को कभी नहीं संभाला, खैर… वो जीतते रहे और पार्टी कार्यकर्ता हारता रहा।
2018 में आपने मन बनाया कि अब अपन बीकानेर पूर्व से दावेदारी करे तो हमे लगा कोई तो आया जो हमारा अपना है, हमारे अपने बीच का है, राजपूत है और फीलिंग कॉमनमैन की है। आपने सार्वजनिक जीवन मे जमीनी काम और आपके व्यवहार ने विगत 3 – 4 वर्षो मे धमाकेदार वापसी की , जहा संख्या दिखानी थी, वहा संख्या और जहा कौशल दिखाना था वहाँ कौशल भी दिखाया ।
बीकानेर पूर्व की बीजेपी टिकट पर आपका हक बनता था। 5 साल जनता के बीच रहने वाले को टिकट न देना अन्याय है 15 सालों में विधायक कार्यकर्ता और जनता के बीच आना तो दूर महलों से ही बाहर नहीं निकली और महलों के दरवाजे पूर्व की और है या उत्तर की और आम आदमी को आज तक नही मालूम ।
कल के टिकट वितरण से नौकरशाह और सरकारी तंत्र खुश है कि फिर 5 साल हमे कोई सुनाने वाला नही और आम आवाम स्तब्ध है कि 5 साल फिर हमारी कोई सुनने वाला नही । खुशी की एक वजह बीकानेर पूर्व सीट भा ज पा के जेब की सीट होने की लोक मान्यता … लेकिन लोकतंत्र मे पूंजी और कौशल के आगे मैने बहुत मान्यताएँ बदलते और मिथक टूटते देखे है ।
मेरा आग्रह इतना है कि मित्र मैदान मत छोडना, बीकानेर की जनता की आपसे बहुत उम्मीदें है । आप आमजन के बीच रहे, क्योंकि जनता आपको पसंद करती है। आप आशानुकूल दूरगामी निर्णय ले, क्योंकि आप राजा #राजकुमार भले ना हो लेकिन बीकानेर की जनता जनार्दन के #महबुबनेता जरूर हो , वरना प्रत्याशी सूची में नाम नही आने से आँखों मे आँसू आना सहज बात नही है, ये आँसू आपके नाम के, 24 वर्षो मे जनता के जुड़ाव के , विगत 3 – 4 सालों से पब्लिक डोमेन में इमेज के, छात्र राजनीति से आज तक युवाओं के बीच किए गए काम का प्रतिबिंब है ।
आप कदाचित् भी व्यथित ना हो। चूंकि आपको जो भी मिलना है पुरुषार्थ से मिलना है पराक्रम से मिलना है ।
आपका निर्णय हमारे लिए गुरु-आज्ञा है क्योंकि मैं अशोक भाटी सहित अनेक पिछड़े, दलित, वंचित, पीड़ित, शोषित युवा पब्लिक डोमेन मे जो कुछ भी है उनके #वास्कोडिगामा आप ही हो ।
हमारी कोई व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वकांक्षा नहीं है लेकिन इस शहर और इलाके की चिंता है । लेकिन आप मौके पर बोलते नही है रिएक्ट नही करते, ये बात हमें पीड़ा देती है । आप ठोस निर्णय ले। सदैव जनता के बीच रहने वाले 36 कौम के युवा नेता को टिकट न देना अन्याय है और पीड़ादायक भी है, या तो भा ज पा टिकट पर पुनर्विचार करे या फिर आप ठोस विचार करो …
आपके प्रतिउत्तर की प्रतिक्षा मे….
आपका मित्र / कार्यकर्ता _
डॉ.अशोक भाटी,एडवोकेट