बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़ में स्व चिमनाराम दोलाराम माली की स्मृति में भागवत कथा कराई जा रही है। कथा में आयोजकों द्वारा दी जाने वाली राशि तथा अन्य आने वाली समस्त राशि विश्व स्तरीय गौ चिकित्सालय नागोर में दी जायेगी। कालूबास के वार्ड-38 में गौ-हितार्थ भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण-रुकमणी के विवाह और भक्त सुदामा की कथा सुनाते हुए पंडित अक्षय अनंत गौड़ ने कहा कि भक्त शिरोमणि सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता सभी के लिए आदर्श है, मित्रता का ऐसा उदाहरण अन्यत्र नहीं मिलता। ये दोनों ही मित्रता के अनुपम उदाहरण है, जहां अभावग्रस्त होने पर भी सुदामा अपने मित्र से कुछ नहीं मांगते, दूसरी ओर बिना मांगे ही भगवान सुदामा को वे सारी सुख- सुविधाएं उपलब्ध करा देते हैं, जो उन्हें सुलभ है।
गौरतलब है कि नागौर गौशाला के महामंडलेश्वर स्वामी कुशालगिरीजी की प्रेरणा से सत्यनारायण मांगीलाल भगवानाराम गौड़ के आयोजकत्व में हो रही है। भागवत कथा के छठे दिन स्वामी कुशालगिरीजी के श्रीडूंगरगढ़ में आगमन पर घूमचकर से मुख्य बाजार व प्रमुख रास्ते में पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। कथा स्थल पर आने पर महाराज श्री कुशालगिरी जी को इकावन किलों की पुष्प माला पहनाकर गोड़ परिवार ने स्वागत किया। कथा स्थल पर श्रोतागण से महाराज श्री ने अपील की कि वे गौहितार्थ अन्न-धन देकर सेवाकार्य करें और बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दें, ताकि भावी पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल हो सके।। बाल व्यासजी ने श्रीकृष्ण की आठ रानियों के अलावा नरकासुर की कैद से मुक्त कराई गई ।सोलह हजार पत्नियों के बारे में भी बताया। पदमपुराण में इनके अस्सी हजार पुत्रों का उल्लेख है। सात दिवस तक चली भागवत कथा और नानी बाई के मायरे में श्रीडूंगरगढ़ के ही उच्च- कोटि के कलाकार घनश्याम प्रजापत ने प्रतिदिन विभिन्न झांकियों, जिनमें सिंह- वाहिनी दुर्गा के शेर और गौमाता की झांकी तो अदभुत ही थी। इनके अलावा भांति-भांति के देशों में विभिन्न नृत्य-मुद्राओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। भागवत- कथा के समापन के पश्चात् आज रात्रि में नानी बाई के मायरे का भी समापन होगा। इस भागवत कथा में साहित्यकार मदन सैनी, सत्यदीप,रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष तोलाराम मारू, भंवर भोजक, निर्मल पुगलिया, आसाराम सोनी प्रेम बुच्चा, गोपाल राठी, रामगोपाल सुथार दूर दूर से पधारे स्व जन रिश्तेदार सहित शहर के अनेक प्रबुद्धजन एवं धर्म-प्रेमी लोगों ने कथा श्रवण तथा झांकी-दर्शन का लाभ लिया।