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बीकानेर,नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सात हाईकोर्ट में 18 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है. इनमें केरल हाईकोर्ट में पांच, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में चार, बॉम्बे हाईकोर्ट में तीन दिल्ली और त्रिपुरा हाईकोर्ट में दो-दो के साथ साथ छत्तीसगढ़ व गुजरात हाईकोर्ट में एक एक नामों की सिफारिश की गई है.

कोलेजियम ने मणिपुर हाईकोर्ट के जज जस्टिस एमवी मुरलीधरन का ट्रांसफर कलकत्ता हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की है. इसके अलावा कोलेजियम की अन्य सिफारिशों में केरल हाईकोर्ट में न्यायिक अधिकारी एमबी स्नेहलता, जॉनसन जॉन, जी गिरीश, प्रदीप कुमार और पी कृष्ण कुमार के नाम भी शामिल हैं. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकील हरिनाथ नूनेपल्ली, किरणमई मांडवा, सुमति जगदम और न्यापति विजय की जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की गई है.

बॉम्बे हाईकोर्ट में जिन तीन न्यायिक अधिकारियों को प्रोन्नत कर जज बनाए जाने की सिफारिश को गई है, उनमें अभय जयनारायण जी मंत्री, श्याम छगन लाल चांडक और नीरज प्रदीप धोते शामिल हैं. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वकील रविंद्र कुमार अग्रवाल, गुजरात हाईकोर्ट में न्यायिक अधिकारी विमल कन्हैया लाल व्यास को.जज बनाने की सिफारिश की गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायिक अधिकारियों शैलेंदर कौर और रविंदर दुदेजा को जज बनाए जाने की सिफारिश की गई है.

भारत में क्या है नियुक्ति का तरीका?
आजादी के बाद से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में जजों की नियुक्ति सरकार ही करती थी. पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सलाह पर राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति करते थे. लेकिन 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम का गठन किया. ये सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की कमेटी है, जो जजों की नियुक्ति और प्रमोशन से जुड़े मामलों पर फैसला लेती है.

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश पर ही होती है. इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते हैं. कॉलेजियम सिस्टम जजों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है. केंद्र इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजती है. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और जज की नियुक्ति होती है.

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