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बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान मोहनीदेवी भगवान दास परिवार के संयुक्त संयोजन मे “प्रकाश चंद भगवानजी पंवार माली” की स्मृति में कृपाल भैरव मन्दिर मोहता कुंआ के पास”श्रीभगवान निवास” में हो रही श्रीमद्भागवत कथा “पित्र अर्जुनराम जी कृपा” व मोहिनीदेवी पंवार परिवार के संयोजन से हो रही भागवत कथा दुसरे दिवस “श्रीछैल बिहारी जी महाराज” के मुखारविंद से भागवत कथा सदग्रहस्थ संत मनुजी महाराज के सानिध्य मे हो रहा है। उपरोक्त कथा “श्रीमति मोहनी देवी पंवार के आशीर्वाद के द्वारा “प्रकाशचंद पंवार व पिता भगवानजी पंवार माली की स्मृति” में कथा हो रही है”। भागवत महात्म्य की विस्तृत व्याख्या भक्ति ज्ञान वैराग्य प्रसंग द्वारा बालसंत श्रीछैल बिहारी महाराज ने नारद जी द्वारा भक्ति भक्ति ज्ञान वैराग्य के कष्टों की निवृत्ति हेतु सनतकुमारों से कथा श्रवण कराने का प्रसंग विस्तृत व्याख्या द्वारा बतलाया गया। आज दुसरे दिवस की कथा वाचन करते हुए बालसंत जी ने सृष्टि संरचना की व्याख्या, महाभारत की अन्तिम घटनाओं पर उपदेश बतलाये,परिक्षित के जन्म व श्रंगी मुनि द्वारा शमिक मुनि के आश्रम मे राजर्षि परिक्षित को श्राप लगने की कथा, एवं भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को भागवत श्रवण करवाने की कथा, तत्पश्चात भगवान शुकदेव का प्राकट्य होने की कथा व राजर्षि परिक्षित को मुक्ति हितार्थ शुकदेव द्वारा भागवत श्रवण करवाकर आत्मा व शरीर के भेद का ज्ञान करवाने की कथा व जीवन मे जाने अनजाने हुए पाप कर्मो से किस प्रकार भागवत श्रवण आश्रय मात्र से ही मुक्ति मिलती हे, के प्रसंगों की व्याख्या बालसंत श्रीछैल बिहारी महाराज ने विस्तृत रुप से बतलाई। उपरोक्त अवसर पर बाल संत श्री छैल बिहारी ने कहा कि किस प्रकार से जीव जब अपने कर्म एवं पथ से विमुख होकर जब कोई भी कार्य करता है,तो अंततोगत्वा उसका पतन निश्चित ही होता है। सदैव अपने कर्तव्यों की पालना धर्म एवं इमान पूर्वक करनी चाहिए। संसारी जीवो में तीन प्रकार के ताप पाए जाते हैं, जो हे दैहिक दैविक भौतिक ताप उपरोक्त त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने वाला दिव्य अनुपम शास्त्र है श्रीमद् भागवत। । सदकर्म एवं कर्तव्य परायणता और भक्ति ज्ञान वैराग्य के अनमोल सिद्धांतों को सिखलाने वाला दिव्य शास्त्र है श्रीमद् भागवत।। आज कथा पुर्व व्यास तिलक व श्रीमद भागवत पुजन मोहिनीदेवी पंवार, और सपत्तनिक दिनेश कुमार सुनीता गहलोत ने पुजन करवाया।।भागवत कथा में सेवा श्रम हेतु ओमप्रकाश सोनी आकाश सोनी लविश व हिमांशी गहलोत,नवरत्न धामू, प्रधानाचार्य हरिकिशन नागल, ओमप्रकाश कुलरिया, देेवकिशन गैपाल,नितेश आसदेव,नंदनंदिनी पुरोहित, एवं पंडित शास्त्री रवि सारस्वत,नैना सोनी संपूर्ण कथा मैं व्यवस्था का कार्य प्रभार संभाल रहे हैं।

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