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बीकानेर,राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की 41 लोगों की सूची में बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा से पिछली बार चुनाव हारे तारा चंद सारस्वत का नाम घोषित किया गया है। इस प्रत्याशी की घोषणा को खुद पार्टी के लोग भी अच्छा नहीं मान रहे हैं। श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा में जाट वोकल और निर्णायक माने जाते हैं। कुल सात सांसदों को दी गई टिकट में से छह का नाम घोषणा के साथ ही विरोध शुरू हो गया। जिसमें डा किरोड़ी लाल मीणा, बाबा बालक नाथ, भागी रथ चौधरी, राज्य वर्धन सिंह , देव जी पटेल और दिव्या कुमारी शामिल है। दस ऐसे लोगों को टिकट देना जो पहले भाजपा के खिलाफ चुनाव लडे विरोध का कारण बन गया। खैर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अन्य फेक्टर को आधार रखकर निर्णय किया होगा?इस निर्णय से पार्टी के भीतर चिंताजनक प्रतिक्रिया हुई है। अब डैमेज कंट्रोल की व्यूह रचना पर काम हो रहा है भाजपा की राजस्थान के चुनाव की कमान पूरी तरह केंद्रीय नेताओं के हाथ में है। राज्य नेतृत्व और स्थानीय नेताओं को किनारे लगाया हुआ महसूस किया जा रहा है। क्या यहां केवल मोदी का चेहरा सबको जोड़े रख सकेगा ? भारतीय लोकतंत्र और राजनीति का तटस्थ होकर विश्लेषण करें तो केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यों की सराहना करनी पड़ेगी। आलोचना लोकतंत्र की खूबसूरती और राजनीति का हिस्सा है। कांग्रेस और विपक्ष मोदी और मोदी सरकार की आलोचना करटी है यह गलत नहीं है। यह काम तो खुद मोदी और भाजपा के नेता विपक्ष की आलोचना करके कर ही रहे हैं। राजस्थान के चुनाव की मोदी ने जो कमान संभाली है वे भले ही पार्टी की व्यूह रचना का सोचा समझा प्लान हो, परंतु उसकी पार्टी के भीतर और जनता में प्रतिक्रिया ठीक नहीं है। वैसे राजनीति चुनौतियों का ही खेल है। राजस्थान में प्रत्याशियों की पहली सूची के साथ भाजपा के भीतर जिस तरह की प्रतिक्रिया हुई है वो पार्टी के लिए सोचने वाली बात है। राजनीति सांप सीढी का खेल माना जाता है। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मोदी ने अपने जिम्मे लेकर वे बड़े गेमचेंजर की भूमिका में आ गए हैं। मोदी सरकार ने देश के खातिर अच्छा काम किया है। मोदी सरकार के कामों से देश विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचाई पर पहुंचा है। कहीं ये चुनावी राजनीति कर्मनिष्ठ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृतित्व को असंतोष के भस्मासुर के भेंट नहीं चढ़ा दें!

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