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बीकानेर,जयपुर*। राजस्थान की गहलोत सरकार ने संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया और उसे निभाने के लिए प्रयास भी किए लेकिन आखिर में यह भर्ती कुछ अधिकारियों – कर्मचारियों की मनमर्जी से विवादों में आ गई। गहलोत के सभी प्रयासों पर अब पानी फिरता दिख रहा है, जिससे संविदा कर्मियों में निराशा के साथ भारी रोष भी है।

उल्लेखनीय है राज्य सरकार ने वर्षों से लगे संविदा कर्मियों को नियमित करने का रास्ता निकालते हुए सीएसआर रूल्स 2022 लागू किए और सभी कर्मियों को रूल्स के तहत नियुक्ति दी। इसके बाद सरकार ने अधिकाधिक लोगों को लाभ देने के लिए 9 वर्ष से अधिक कार्य करने वाले सभी कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लेते हुए सभी पद सृजित किए और सृजित पदों का पे ग्रेड भी निर्धारित कर दिया। इसका वित्त विभाग एवं राज्यपाल से भी अनुमोदन हुआ। सरकार ने ये आदेश भी जारी कर दिए। इसी दौरान सरकार ने जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक कर्मियों की स्क्रीनिंग भी कर ली। वहीं पिछले तीन दिनों से दस्तावेज आदि की जांच की जा रही है। जिसमें सभी जिलों से सभी पदों पर भर्ती होने वाले संविदा कर्मियों के दस्तावेज मंगवाए गए। लेकिन रविवार दोपहर के बाद स्वास्थ्य भवन में बैठे कुछ अधिकारी और कर्मचारियों ने नया अडंगा लगाते हुए केवल अकाउंट पद को ही नियमित करने का कथित फरमान जारी कर दिया, जबकि सभी पदों के लिए दस्तावेज मंगवाए गए थे। इस दौरान चर्चाओं का दौर भी गरम रहा कि किसी लेन देन के बाद यह निर्णय हुआ। इसके बाद अन्य सभी कर्मियों में भारी रोष पैदा हो गया और वे स्वास्थ्य भवन पहुंचे। कार्मिकों ने स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, एसीएस शुभ्रा सिंह और मिशन निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार सोनी से मिलकर भी अपनी व्यथा सुनाई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। जिससे रोष और बढ़ गया। कार्मिक सोमवार को आंदोलन की तैयारी में है।

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