बीकानेर,क्षमाराम जी महाराज ने कहा कि ऐसे लोग इस दुनिया में है जो ना शास्त्रों में श्रद्धा रखते हैं, ना भगवान में रखते हैं। ऐसे लोग सोचते हैं और कहते भी हैं कि राजाओं ने लिखवाया, ब्राह्मणों ने लिख दिया और इसे नाम दे दिया। ऐसे लोगों के लिए क्षमाराम जी ने भैंस की उपमा देते हुए कहा कि भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगराए। ऐसे लोगों को क्या पता कि भगवान की भक्ति क्या होती है।महन्त क्षमाराम जी महाराज ने यह कथन शनिवार को श्रीमद् भागवत कथा के वाचन करते हुए उन लोगों के लिए कहे जो भागवत में श्रद्धा नहीं रखते और धर्म का माखौल उड़ाते हैं। गोपेश्वर बस्ती स्थित गोपेश्वर- भूतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन क्षमाराम जी महाराज ने जीवन सद्ज्ञान की सीख देते हुए कहा कि आजकल सोच इतनी बिगड़ गई है कि पत्नी पति का नाम लेकर बतलाती है। मना करते हैं तो कहती है शास्त्र यूं ही लिख देते हैं। शास्त्रों के अंदर गलत बात लिखी होती तो कौन आदर करता। भगवान ने भी कहा है कि शास्त्र का चिंतन करो। पत्नी का नाम नहीं लेना चाहिए और अपने बड़े बेटे का नाम नहीं लेना चाहिए। गांव में तो सबसे बड़े भाई का नाम नहीं लेते, भाईयो कहते हैं। भाईयो मतलब मेरे को भा गया। मारवाड़ी में इतनी मिठास है। भगवान नारायण का, े नर को प्रणाम किया, सरस्वती देवी को प्रणाम किया, श्रीमद् भागवत को नमन किया। इसके बाद बड़े खुशी-खुशी कह रहे हैं। हमारे सनातन धर्म की परम्परा देखो- आप गुरुजनों से प्रश्न करो आपको उत्तर मिलेगा। हमारे यहां जिज्ञासा के बाद ज्ञान का प्रभाव देखा जाता है। पार्वती जी ने प्रश्न किया, शिवजी ने रामायण सुनाई। भारद्वाज जी ने प्रश्न किया, याज्ञवलक्य जी ने रामायण सुनाई। गरुड़ जी ने प्रश्न किया तो कागभूषण जी ने रामायण सुनाई। ऐसे ही अर्जुन ने प्रश्न किया, भगवान ने गीता सुनाई। आपको कोई भी शंका हो, शास्त्र जवाब देता है। हमारे यहां दबाव नहीं है कि हमने कह दिया आपको माननी पड़ेगी। अपने सत्य सनातन हिन्दू धर्म के शास्त्र हैं, उनमें कोई किसी प्रकार की पद्धती बताता है, कोई कौनसी पद्धती बताता है। यह इसकी विशेषता है। एक तत्व को किस प्रकार से समझाया जाता है, हमारे धर्म की यही विशेषता है, हमारा सनातन धर्म जो जैसा बीमार होता है, वैसी दवा देता है। हम राम की उपासना से मर्यादाओं का पालन करके आदर्शों को प्राप्त कर सकता है। कोई कृष्ण की लीलाओं से परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। कोई शक्ति की उपासना करके परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। कोई सगुण को मानने वाले निर्गुण को मानने वालों का आदर करते हैं। हमारी विशेषताओं को दूसरे लोग कमजोरी बताते हैं। आयोजन समिति के गोपाल अग्रवाल ने बताया कि कथा के दूसरे दिन संगीतमय कथा का आनंद लेने शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कथा आरंभ से पूर्व श्रीमद् भागवत की आरती की गई और विराम से पूर्व यजमानों ने आरती कर महाराज जी से आशीर्वाद लिया।
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