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श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर,धर्म किरण होम्योपैथी एवं आयुर्वेदिक औषधालय का लोकार्पण वैदिक मंत्रों के उच्चारण तथा पूजा अनुष्ठान के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए दैनिक महानगर के संपादक प्रकाश चिंडालिया ने कहा कि सरल, सहज और सरस व्यक्तित्व के धनी भामाशाह भीखमचंद पुगलिया ने कलकत्ता में रहते हुए भी अपने मन के तार अपनी जन्म भूमि से जोड़े हुए रखे हैं। उनके हृदय में अपना गांव बसता है। धर्म किरण औषधालय इसी अनुराग का प्राकट्य है। वे जन उपकार के रथ पर आरूढ होकर मानव धर्म की किरणों से अपने नगर को आलोकित कर रहे हैं। मानव का सहज गुण है, वह शोहरत को देखता है, किन्तु महान वे लोग हैं जो करुणा के साथ काम करते हैं। तुलसी सेवा संस्थान में ऐलोपैथिक इलाज होता रहा है, अब होम्योपैथी एवं आयुर्वेदिक के इलाज से नगर की पीड़ित मानवता को बड़ी राहत मिलेगी। विशिष्ट अतिथि विधायक गिरधारीलाल महिया ने कहा कि यह बात बहुत प्रेरणीय है कि पुगलिया परिवार प्रवास में रहते हुए भी अपनी जन्मभूमि की फिक्र करता है। क्षेत्र की जनता को इस चिकित्सालय से प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।

प्रारंभ में पुगलिया परिवार की महिलाओं ने स्वागत गीतिका प्रस्तुत की। स्वागत भाषण करते हुए सी ए अमरचंद पुगलिया ने कहा कि अपने पुण्य श्लोक माता-पिता की स्मृतियों को एक रचनात्मक सोच के साथ जीवित रखना, संतति का परम पुनीत कृत्य है। उपखंडाधिकारी मुकेश चौधरी ने कहा कि चिकित्सा के इस प्रकल्प से असहाय और पीड़ित जन को आशातीत लाभ मिलेगा। श्रीडूंगरगढ़ भामाशाहों की भूमि रही है। धनराज पुगलिया ने कहा कि सेवा के संस्कार हमेशा आगे बढते रहें।
औषधालय निर्माता भीखमचंद पुगलिया ने यहां इस औषधालय की आवश्यकता को जताते हुए कहा कि तुलसी सेवा केन्द्र को प्रारंभ हुए 43 वर्ष हो चुके। अब उसका विस्तार आवश्यक हो गया था। इस चिकित्सालय के निर्माण में गुरुदेव महाश्रमणजी का आशीर्वाद शामिल रहा है, उन्हीं की प्रेरणा से यह शीघ्र बन चुका। इस आयोजन के लिए सौ से अधिक लोग प्रवासी जो यहां आए है। जैन समाज के पदमकुमार रायजादा, सुरेन्द्र कुमार चौरड़िया, एडवोकेट प्रकाश बेद सुमेरमल सुराना रणजीत कोठारी शांता पुगलिया, राजकरण सिरोहिया, माणकचंद पुगलिया, सुशीला पुगलिया तथा तेरापंथ भवन के मंत्री मालचंद सिंघी ने कहा कि भाई भीखमचंद जी की हमेशा- सेवा भावना की इच्छा रहती है। वरिष्ठ अधिवक्ता ललित कुमार मारू ने कानूनी मदद करने पर आभार व्यक्त किया।।
श्रीडूंगरगढ़ की ग्यारह संस्थाओं की ओर से शाॅल ओढाकर तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदानकर भामाशाह भीखमचंद पुगलिया तथा श्रीमती सुशीला पुगलिया का सम्मान किया गया। भीखम चंद पुगलिया ने अपने मातृभूमि को तथा अपनी श्रद्धेय माता किरण देवी को नमन करते हुए कहा कि यह मानव शरीर है। अपने सामर्थ्य अनुसार परहित करना चाहिए।इस अवसर पर श्री भीखमचंद जी ने अपने दादोजी नारायण चंद जी व तथा दादीजी रम्भा देवी तथा पिता श्री धर्मचंद का स्मरण किया। समारोह का सफल संचालन साहित्यकार रवि पुरोहित ने किया।

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