बीकानेर,अणुव्रत लेखक मंच के तत्वावधान में अणुव्रत समिति , गंगाशहर द्वारा “अणुव्रत लेखक एवम प्रबुद्धजन सम्मेलन” का आयोजन नैतिकता के शक्तिपीठ के पावन प्रांगण में किया गया। “अणुव्रत के आलोक में व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र और विश्व निर्माण तक” विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश जी नाहर ने की एवम इस अवसर पर महामंत्री भीखम जी सुराणा, अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जी जैन, सहमंत्री ओमेंद्र जी गोयल, प्रचार प्रसार मंत्री धर्मेंद्र डाकलिया , अणुव्रत संरक्षक बसंत जी नौलखा, मुख्य न्यासी तेजकरण जी सुराणा , डॉ नीलम जैन, युवक रत्न राजेंद्र जी सेठिया, अणुव्रत लेखक मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. वीरेंद्र भाटी”मंगल”, शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष हंसराज जी डागा, पूर्व महापौर नारायण जी चोपड़ा , जतन जी दुग्गड, माणक चंद जी सामसुखा, व्यापार उद्योग मंडल के पूर्व सचिव कन्हैया लाल जी बोथरा आदि मौजूद थे।
सम्मेलन में कवि, साहित्यकार, पत्रकार, रंगकर्मी, प्रोफेसर, शिक्षक, और सामाजिक गणमान्य व्यक्तित्वों ने शिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. धनपत सिंह जी जैन , और डॉ. चक्रवर्ती नारायण जी श्रीमाली थे।
अध्यक्ष भंवरलाल सेठिया ने बताया की “कार्यक्रम का शुभारंभ समिति की महिला सदस्याओं ने अणुव्रत गीत प्रस्तुत करके किया। परिचय और स्वागत वक्तव्य किशन जी बेद ने दिया। अणुव्रत संकल्प पत्र का वाचन प्रभारी नवीन सोलंकी ने किया। विषय भूमिका भैरूदान जी सेठिया ने प्रस्तुत की । अणुव्रत लेखक मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. वीरेंद्र भाटी”मंगल” ने मंच की पृष्टभूमि बताई।
मंत्री मनीष बाफना ने बताया की ” राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश जी नाहर ने कहा की विश्व कल्याण के लिए अणुव्रत जीवन शैली को व्यक्ति व्यक्ति के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहुंचाए यही हर अणुव्रत कार्यकर्ता का संकल्प हो।”
अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जी जैन ने कहा की वाणी से अधिक मौन का भी महत्व है,उन्होंने इन भावों पर एक मार्मिक कविता प्रस्तुत की।
मुख्य न्यासी तेजकरण जी सुराणा ने कहा की वैचारिक रूप से दूषित हो रहा वर्तमान समय वैश्विक चिंतन का विषय है और इसका समाधान का सूत्र अणुव्रत के संकल्पों में हैं।
मुख्य वक्ता धनपत जी जैन ने आचार्य तुलसी को स्मृत करते हुवे कहा की अणुव्रत के छोटे छोटे सूत्र विश्व में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन कर सकते हैं और शिक्षकों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए को वो अणुव्रत के माध्यम से व्यक्तित्व निर्माण करे,क्योंकि एक बालक के जीवन निर्माण का कर्तव्य उन्हे ही पालन करना है।
उपाध्यक्ष मनोज सेठिया ने बताया की मुख्य वक्ता डॉ चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने कहा की” संस्कारों का ह्यास ही वर्तमान समय की मूल समस्या है, और इस स्थिति को बदलने हेतु अणुव्रत का विचार अपनाने की जरूरत है। यही विचार व्यक्ति के जीवन को प्रामाणिकता और विवेक का आधार देगा।”
प्रभारी कर्णिदान रांका और नवीन सोलंकी ने बताया की इस अवसर पर साहित्यकार जुगल किशोर जी पुरोहित ने अणुव्रत पर एक गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंतिम चरण में समिति द्वारा मुख्य वक्तागण और बसंत जी नौलखा का मोमेंटो भेंट कर और पताका पहनाकर अभिनंदन किया गया एवम मुख्य न्यासी तेजकरण जी और साहित्यकार जुगल किशोर जी का भी पताका पहनाकर सम्मान किया गया।
सहमंत्री राजेश बेद ने बताया की आभार ज्ञापन अध्यक्ष भंवर लाल सेठिया ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मंत्री मनीष बाफना ने किया ।
संगठन मंत्री जैन मनोज सेठिया ने बताया की कार्यक्रम को सफल बनाने में राजेंद्र पारख, अरिहंत नाहटा,
,नवरतन तातेड,मनोज छाजेड़,हेमराज गुलगुलिया,बच्छराज गुलगुलिया,
अनिल भंसाली, राजेंद्र बोथरा, देवेंद्र जी बोथरा, कन्हैया लाल बोथरा,
अनुपम सेठिया, संतोष बोथरा, अनिल बेद,अरुणा जांगिड़,राजेश बुच्चा, मांगीलाल बोथरा,अनिल सेठिया, मनोज पारख, मुकेश पारख, केशरी चंद बाफना, विजय पारख, लक्ष्मी सेठिया , हेमा पारख, निर्मला बेद,पुखराज दुग्गड,रेणु रांका आदि का महत्वपूर्ण योग्यदान रहा।
प्रचार प्रसार मंत्री हेमराज गुलगुलिया ने बताया की समिति की टीम ने इस सम्मेलन के माध्यम से अणुव्रत को शहर के बुद्धजीवी वर्ग, सामाजिक व्यक्तित्वों तक पहुंचाने का अथक प्रयास और यह क्रम निरंतर जारी रहेगा।