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बीकानेर,राजस्थान में बीजेपी का टिकट वितरण को लेकर मंथन चल रहा है, लेकिन साथ ही टिकट वितरण के बाद होने वाली बगावत को रोकने के लिए भी रणनीति बनाई जा रही है. गुटबाजी से जूझ रही प्रदेश भाजपा के लिए बगावत रोकना सबसे बड़ी चुनौती होगी और इसकी तैयारी पहले से ही की जा रही है.

बीजेपी इस बार राजस्थान में नेताओं के बजाय जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बलबूते चुनाव लड़ने जा रही है. प्रदेश भाजपा गुटबाजी से जुझती दिखाई पड़ रही है . भले ही सामने गुटबाजी नहीं होने का दावा कर रहे हो लेकिन अंदरूनी तौर पर कहीं ना कहीं गुटबाजी दिखाई पड़ रही है ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व में पहले परिवर्तन यात्राओं को सामूहिक रूप से निकला. और अब चुनाव भी सामूहिक नेतृत्व और पीएम मोदी के चेहरे के आधार पर लड़ा जा रहा है. चुनाव में कार्यकर्ताओं से राय लेकर पार्टी उम्मीदवारों के नाम फाइनल करेगी.

जमीनी कार्यकर्ताओं को कभी भी संघठन के साथ जोड़ना और उनके लिए संघठन के द्वारा सीधा संवाद स्थापित करना भाजपा राजस्थान की परम्परा नहीं रही और ना ही यह बड़े नेताओ को रास आता था, इस नेतागिरी के चलते नेता तो अपना कद बड़ा कर लेते थे परंतु कई जगह पार्टी को बोना साबित होना पड़ता था. प्रधानमंत्री मोदी और बीएल संतोष के निर्देशानुसार सिर्फ पार्टी की संरचना पर ही काम किया जा रहा है. कार्यकर्ताओं और पार्टी को एक कड़ी मैं लाकर खडा कर दिया है, भाजपा संघठन के पास आज की तारीख के 52 हज़ार फोटो युक्त बूथ अध्यक्ष की टीम के साथ हर बूथ पर पूरा मैनेजमेंट तैयार है जो सीधा पार्टी के साथ जुड़ा हुआ है, आगामी विधानसभा चुनाव कोई व्यक्ति नहीं ब्लकि पार्टी लड़ने जा रही है.पार्टी के साथ सीधे कार्यकर्ताओं के जुड़ाव होने से योजनाओं, नीति निर्धारण पर खासा फर्क़ प़डा है, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ख़ुद मण्डल सें लेकर ज़िले के कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क में रहते है और उनके अनुरूप फीडबैक सिस्टम बनाया है. टिकट वितरण में ज़िला , मण्डल , संभाग में फीडबैक सिस्टम तैयार किया है , जिसके चलते पहली बार एक एक सीट पर 20 उम्मीदवार नज़र आ रहे है,सूत्रों के अनुसार पार्टी ने सभी को मौका देने की चाहत के चलते इच्छुक उम्मीदवारों से अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने को कहा है, जानकर बताते है चन्द्रशेखर के इस प्रयोग के चलते कई युवाओ को मौका मिल सकता है, और पार्टी मेरिट के आधार पर चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन करेगी.

बागी उम्मीदवार बन रहे थे संकट

टिकट वितरण के बाद जो बागी उम्मीदवार संकट का सबब बनते थे, उस समस्या से पार्टी को निजात मिल चुका है, सूत्र बताते है कि आगामी चुनाव भाजपा और कार्यकर्ता लड़ने जा रहे है जिसके चलते बागी, नाराज नेताओ की दुकान बंद हो जाएगी. चुनाव मैं मात्र कुछ ही दिन बाकी है परंतु आज भी पार्टी का पहला फोकस कार्यकर्ता को मजबूत करने मैं है. कार्यकर्ताओं को सीधे जोड़ने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है ,जिसमें सोशल मीडिया एक अहम साधन बना है, भाजपा 1 लाख से ज्यादा ग्रुप, और सेंकड़ों पेज के सहारे ही कार्यकर्ताओं से प्रदेश कार्यालय से ही संपर्क मैं बनी हुई है.परिवर्तन यात्रा मैं भी किसी एक नेता का वर्चस्व नहीं होकर सभी को कार्यकर्ताओं के साथ और उनके लिए काम करने के आदेश दिए गए है. कोन स्वागत करेगे, कहा सभा होनी है यह सब भी पूर्व नियोजित है, जिसके चलते ही यात्रा का प्रभाव भी नजर आ रहा है.

निचले स्तर तक संघठन किया तैयार

मोदी और चन्द्रशेखर की टीम ने सभी की सहभागिता के साथ राजस्थान मैं भाजपा का निचले स्तर तक संघठन तैयार कर लिया है, जिसको अब किसी नेता विशेष के चेहरे की आवश्कता नहीं है. एसा नहीं है कि विरोध या विरोधी ख़त्म हो गए है, दोनों मौजूद है परंतु जब यात्रा की सफलता की खबर आती है तो उनको भी पहुचना ही पड़ता है. टिकट वितरण मैं मैं भी भाजपा के द्वारा कार्यकर्ताओं का फीडबैक और राय ली जा रही है. भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनको उचित स्थान और सम्मान मिले इस काम कर रही है, जिसके चलते बागी, नाराज, और विरोध जैसी बाते बहुत छोटी होती जा रही है.

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