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बीकानेर,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की ओर से राजस्थान चुनाव के लिए बनाए गए स्पेशल ऑब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री मंगलवार शाम से बुधवार दोपहर तक बीकानेर में रहे। सर्किट हाउस में डेरा डाला। जो भी मिलना चाहता था, उससे मिले। सबकी सुनी। ज्यादा ध्यान टिकट की डिमांड करने वालों पर नहीं रहा, उन पर रहा जिन्हें पार्टी, सरकार या स्थानीय संगठन से कोई शिकायत है। ऐसे में सबसे पहले संगठन के ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक के पदाधिकारियों से एक साथ मीटिंग की। इसके बाद कोई टिकट की डिमांड के अलावा अन्य मुद्दे पर वन-टू-वन मिलना चाहता था तो उससे मुलाकात हुई। इसके साथ ही समुदायों की बात चली। समुदायों में सबसे बड़ा फोकस रहा अल्पसंख्यकों और दलितों पर जो कि कांग्रेस के परंपरागत वोटर हैं।

बीकानेर के अल्पसंख्यक नेता संगठन और सत्ता में बड़ी भागीदारी नहीं मिलने से नाराज है। यह बात पूर्व में संगठन के कार्यक्रम में उठी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी सात सीटों के 90 से अधिक नेता हाल ही मिलकर आए थे। ऐसे में मिस्त्री ने भी सभी से एक साथ मुलाकात की। मिस्त्री के सामने अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों की नाराजगी जाहिर हुई। कहा, जिले के सात विधानसभा सीटों में 3.20 लाख वोटर हैं। एक भी सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा। हमें नसीहत दी जाती है कि सीट हार का डर है? क्या सभी 200 सीटें हम जीत रहे हैं? टिकट तो दूर की बात यूआईटी चेयरमैन, नगर निगम मेयर, प्रमुख, प्रधान, बोर्ड-निगम का कोई बड़ा अध्यक्ष तक बीकानेर जिले से नहीं बनाया गया। हमारी कई मांगे हैं जिनमें मुसाफिर खाने से लेकर एज्युकेशन हब तक शामिल है। इन पर भी अब तक काम नहीं हुआ है।

अल्पसंख्यक नेताओं ने कहा, अब तक रही कमियों को अब सरकार के कम समय में सुधार नहीं किया जा सकता लेकिन अब इसी चुनाव में जिले की सात में से एक सीट पर अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि को टिकट दिया जाए। बातचीत में मौजूद प्रतिनिधियों ने आगे बढ़कर कहा, कोई, किसी का विरोध नहीं करेगा। हममें से जितने दावेदार हैं उनमें से किसी को भी टिकट दे दिया जाए। पूर्व मेयर मकसूद अहमद, अब्दुल मजीद खोखर, माशूक अहमद, सलीम कल्लर, सलीम भाटी, गुलाम मुस्तफा सहित बड़ी तादाद में कांग्रेस नेता-प्रतिनिधि इस मीटिंग में मौजूद रहे।

मिस्त्री ने धैर्यपूर्वक नेताओं की बातें सुनीं। जवाब संक्षेप में दिया: आपकी बातें जायज हैं। दो काम अपने स्तर पर करूंगा। पहला-आलाकमान तक आपकी बात पहुंचाऊंगा। दूसरा-कांग्रेस के घोषणा-पत्र में अल्पसंख्यकों के कल्याण से जुड़े मुद्दे शामिल करवाऊंगा। पार्टी जीतती है तो धर्मनिरपेक्ष ताकतों को बल मिलेगा। अभी समय उलाहनों का नहीं पार्टी को जिताने का है।

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