बीकानेर,विचारों के अंतराष्ट्रीय मंच TED द्वारा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के मंच पर बोलते हुए प्रसार भारती समीक्षक सम्पत सारस्वत बामनवाली ने *”इवेल्यूएशन ऑफ यंग माइंड”* पर अपनी बात रखी, जिसमे आज का दौर युवा पीढ़ी की इच्छा के अनुरूप की उसके भविष्य निर्माण के लिए महत्व रखता है इस बात पर जोर दिया, आज जहां शिक्षा को व्यापार बनाकर परोसने की प्रवृत्ति को लगाम लगाने पर अपने विचार रखे, हमारे आसपास सब तरफ परीक्षा के परिणामों को लेकर एक अजीब सी होड़ मची है जिसमे हर किसी को परीक्षा परिणाम में अव्वल नंबर लाने है और इस तरह का दवाब परिवार, रिश्तेदार, समाज और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा बच्चे पर दिया जाता है जिसकी वजह से ना केवल बच्चा अपना शत प्रतिशत योगदान शिक्षा पर दे पाता है बल्कि अंदरूनी हीन भावना का शिकार भी होता है परिणामस्वरूप जब उम्मीद के मुताबिक परिणाम नही मिलता है तो दुर्भावनावश बच्चा गलत कदम उठाता है और फलस्वरूप आजकल हमारे आसपास आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ने लगी है जो कि अपने आप में चिंता का विषय है ।
हम किसी से कम नहीं’ का मूलमंत्र रखे याद..
आगे अपनी बात में बोलते हुए सम्पत सारस्वत बामनवाली ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हम सबको हर कदम पर यह बात याद रखनी चाहिए कि हम किसी से कम नही है बस सही मायने में समर्पित होकर लक्ष्य की तरफ केंद्रित होकर कार्य करने की जरूरत है स्वामी विवेकानंद जी की कही बात का जिक्र करते हुए कहा कि “जब हमारे इरादे मजबूत हो तो कदम रास्ता अपने आप बना लेते है” युवाओं को कहीं भी हार नही मानकर हमेशा उत्साह के साथ आगे बढ़ते रहने का मूलमंत्र दिया, अपना जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह एक हिंदी माध्यम का लड़का अंग्रेजी माध्यम से सभी टॉपर को पीछे छोड़ शिक्षा में सर्वोत्तम मुकाम हासिल किया, सबके पास एक जैसा दिमाग है बस जरूरत है तो उसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की, जिस प्रकार से गरम लोहे पर बार बार चोट उसे मनचाहा आकर दे सकती है तो अभ्यास ही निरंतर अव्वल आने में सहायक बन सकता है
शिक्षा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि शिक्षा के माध्यम से ज्ञान और कौशल देने का मुख्य उद्देश्य होता है, लेकिन इसके साथ-साथ बच्चों के मनोबल को भी बढ़ाना जरूरी है।
पहला कारण है कि मनोबल बढ़ाने से बच्चे शिक्षा के प्रति अधिक उत्साहित होते हैं। जब उनका मनोबल ऊंचा होता है, तो वे पढ़ाई और सीखने में अधिक सक्षम होते हैं और संवाद में भी अधिक भाग लेते हैं।
दूसरा, मनोबल बढ़ाने से बच्चे आत्मविश्वास में सुधार पाते हैं। जब वे अपनी क्षमताओं को समझते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं, तो उनका स्वाभाविक आत्मविश्वास बढ़ता है।
तीसरा, मनोबल बढ़ाने से बच्चे स्वस्थ मानसिक स्थिति में रहते हैं। शिक्षा में अधिक दबाव और स्ट्रेस से बच्चे परेशान हो सकते हैं, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
इसलिए, हमें शिक्षा को दबाव की बजाय बच्चों के मनोबल को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण धारणा के रूप में देखना चाहिए। इससे हम समृद्धि, सामाजिक समरसता, और बच्चों के सम्पूर्ण विकास को समर्थन देंगे। अपनी बात के अंत में देश के 15वे राष्ट्रपति ऐ पी जे अब्दुल कलाम जी द्वारा कही बात “सपने वो नही जो नींद लेनें पर आते है, सपने वो है जो आपको सोने नहीं दे” कहकर अपनी बात को विराम दिया।
बता दे कि अंतराष्ट्रीय प्लेटफार्म TEDx द्वारा चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए इस आयोजन में पूरे भारत से अलग अलग प्रतिभागी शामिल हुए तथा सभीं ने अपने विचार रखे जिसमे मुख्य रूप से आचार्य मनीष, विनीत जोशी, चुमकी बॉस, डॉ पूजा चोपड़ा, प्रणय चावला, प्रीति जिंदल, संदीप साहनी, सिद्धार्थ दास ने भी अपने विचार मंच पर रखे ।।