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बीकानेर के सभागार में श्रीमती मनीषा भारद्वाज नीरव की काव्य कृति ‘ये मैं हूं’ का लोकार्पण हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री मधु आचार्य ‘ आशावादी’ ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि काव्य सृजन सबसे कठिन कार्य है। काव्य सृजक शब्द ऋषि होते हैं और शब्दों की सत्ता का सबसे महत्वपूर्ण है। मनीषा नीरव की रचनाएं इस ऋषि परंपरा को आगे बढ़ा रही है। विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी बात रखते हुए व्यंग्यकार, लेखक-संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि कविता भावों, विचारों और संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे शसक्त माध्यम है मनीषा नीरव की कविताओं में इसकी प्रभावी उपस्थिति है। इनकी कविताएं, सरल सहज और संप्रेषणीय हैं।विशिष्ट अतिथि कवि कथाकार स्मलोचक श्री नगेंद्र नारायण किराडू ने कहा कि भारद्वाज की कविताओं में घर, परिवार, समाज, परिवेश आदि सबका यथार्थ चित्रण है। प्रथम पत्र वाचन में समालोचक श्री मूलचंद बोहरा ने कहा कि ये मैं हूं काव्य संग्रह के माध्यम से मनीषा नीरव ने साहित्य जगत में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। कविताओं में अभिव्यक्त भाव पाठक को बहुत कुछ सोचने समझने और मनन करने हेतु प्रेरित करते हैं। दूसरे पत्र वाचन में कवयित्री,कथाकार एवं आलोचक डॉ. रेणुका व्यास नीलम ने कहा कि इस काव्य संग्रह में महिला विमर्श की रचनाएं बहुतायत से हैं लेकिन कहीं पर भी पुरुष वर्ग के प्रति तिरस्कार का भाव नहीं है। उनकी कविताओं में आत्मविश्वास झलकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान की प्राचार्य श्रीमती सायरा बानो ने कहा कि साहित्य सृजन एक साधना है जिसको मनीषा ने बड़ी शिद्दत से किया है। मनीषा नीरव को निरंतर श्रेष्ठ सृजन करते रहना चाहिए। श्रीमती मनीषा ने भी अपनी काव्य संग्रह के शीर्षक से जुड़ी कुछ पंक्तियां सुनाई और बताया कि अपने भावों और विचारों को पूर्णता देने हेतु उन्होंने लिखने का प्रयास किया है।इस अवसर पर नवकिरण सृजन मंच एवं नवकिरण प्रकाशन द्वारा कवयित्री मनीषा नीरव का सम्मान किया गया। संचालन संस्थान की संकाय सदस्य श्रीमती प्रसन्ना पारीक ने किया और करन भारद्वाज ने आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर श्री संपत भारद्वाज सहित संस्थान के संकाय सदस्य छात्र और प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।

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