बीकानेर,लूणकरणसर,गरीबों व किसानों के हित चिंतक, ग्रामीण क्षेत्र में अभावों को दूर करने के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष करने वाले, मरुधरा में हरित क्रांति के प्रणेता व शिक्षा की अलख जगाने वाले किसान नेता व पूर्व मंत्री स्वर्गीय भीमसेन चौधरी जी की स्मृति में राजकीय महाविद्यालय लूणकरणसर का नामकरण भीमसेन चौधरी राजकीय महाविद्यालय, लूणकरणसर (बीकानेर) किया गया है।
बीकानेर के किसान वर्ग व आमजन की ओर से लंबे समय से की जा रही इस मांग को राज्य सरकार ने स्वीकार किया है । लूणकरणसर के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण भीमसेन चौधरी राजकीय महाविद्यालय लूणकरणसर(बीकानेर )किए जाने के आदेश महामहिम राज्यपाल की आज्ञा से उच्च शिक्षा विभाग ग्रुप 3 के उप शासन सचिव की ओर से जारी किए गए हैं। किसान नेता व पूर्व मंत्री भीमसेन चौधरी जी की स्मृति में लूणकरणसर के राजकीय महाविद्यालय का नामकरण किए जाने पर पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष वीरेंद्र बेनीवाल, बीकानेर पंचायत समिति के प्रधान लालचंद आसोपा, पूर्व प्रधान व ब्लॉक कांग्रेस कमेटी, लूणकरणसर के अध्यक्ष गोविंद राम गोदारा, लूणकरणसर क्रय विक्रय समिति के अध्यक्ष मूलाराम कलकल, नापासर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष भंवरलाल परिहार, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष पतराम गोदारा, जिला परिषद सदस्य पूनम चंद ओझा, जिला परिषद सदस्य रामधन मेघवाल, पंचायत समिति सदस्य सुभाष नायक, पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन राम कुकणा व अन्य जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों के गणमान्य व्यक्तियों, किसानों व ग्रामीणों ने राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजेंद्र सिंह यादव जी का आभार जताया है।
गांधीवादी व सर्वमान्य नेता थे भीमसेन चौधरी
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल ने बताया कि भीमसेन चौधरी पश्चिमी राजस्थान के गांधीवादी जन नेताओं में से प्रमुख थे। वर्ष 1957 में लूणकरणसर विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने जीवन पर्यंत गरीब व किसान के कल्याण को लेकर संघर्ष किया। बीकानेर जिले में एशिया की पहली लिफ्ट नहर बनवाकर हजारों बीघा जमीन को सर सब्ज कर हरित क्रांति के प्रणेता पूर्व मंत्री भीमसेन चौधरी बीकानेर के प्रथम जिला प्रमुख रहने के साथ-साथ लूणकरणसर विधानसभा क्षेत्र का छह बार विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया। बीकानेर संभाग में सर्वमान्य नेता के रूप में माने जाने वाले भीमसेन चौधरी ने उरमूल डेयरी की स्थापना कर इस क्षेत्र में दुग्ध क्रांति लाने का श्रेय भी प्राप्त किया। स्वर्गीय भीमसेन चौधरी जी ने वर्ष 1957 से लेकर 2000 तक ग्रामीण क्षेत्र में गांव ढाणी तक शिक्षा की अलख जगाने का अविस्मरणीय योगदान दिया।