बीकानेर, सकलश्री संघ के सहयोग से जीर्णोद्धार के बाद नवनिर्मित शिवबाड़ी के श्रीगंगेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय की नवस्थापित प्रतिमाओं की अंजन श्लाका-प्रतिष्ठा महोत्सव (प्राण प्रतिष्ठा) 20 मार्च 2024 बुधवार फाल्गुन सुदी एकादशी विक्रम संवत् 2080 को शुभ मुर्हूत में होगी। करीब 150 वर्ष प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोंद्धार ट्रस्ट ने करवाया है।
श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोंद्धार ट्रस्ट के ट्रस्टी हस्तीमल सेठी ने बताया कि खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी (1000) पर जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ पालीतणा, गुजरात में बीकानेर से गए एक हजार श्रावक-श्राविकाओं, मुनि व साध्वीवृंद (चतुर्विद संघ) की साक्षी में मंदिर की अंजन श्लाका-प्रतिष्ठा महोत्सव मुर्हूत की घोषणा खतरगच्छ संघ के वर्तमान पट्धर आचार्य गुरुदेव जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी ने की। बीकानेर सकलश्री संघ के श्रावकों को अंजन श्लाका-प्रतिष्ठा महोत्सव मुर्हूत की उद्धोषणा करते हुए शुभ पत्रक प्रदान किया। इस अवसर पर आचार्यश्री, बीकानेर के गौरव मुनि सम्यक रत्न सागर, मुनि संवेग रत्न सागर, मुनि संवर रत्न सागर, साध्वीश्री चंदनबाला, कुशल प्रज्ञा, प्रभंजनाश्रीजी, सुचेष्टाश्रीजी, सुप्रताश्रीजी, केवल्य प्रभाश्रीजी, चिदयश्राश्रीजी, चिन्मयाश्रीजी, संस्कार निधिश्रीजी व संवेग निधिश्रीजी, सहित आदि ठाणों को शिवबाड़ी के गंगेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय की अंजन शलाका-प्रतिष्ठा महोत्सव में सान्निध्य प्रदान करने की विनती बीकानेर मूल के सूरत प्रवासी पवन पारख के नेतृत्व में की गई।
सेठी ने बताया कि महामांगलिक प्रदात्री बीकानेर मूल की यशस्वी, तेजस्वी, तपस्वी, प्रज्ञा भारती प्रवर्तिनी साध्वीश्री चन्द्रप्रभाश्रीजी म.सा. ने खरतरगच्छ सहस्त्र शताब्दी वर्ष से पूर्व मंदिर के जीर्णोंद्धार की धोषणा की थी। भूतल से 45 फीट ऊंचे सफेद संगमरमर से तीन शिखरबंद के इस मंदिर के खनन मुर्हूत 14 अगस्त 2013 को हुआ। मंदिर के जीर्णोंद्धार का शिलान्यास 3 नवम्बर 2013 को साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्याओं की साक्षी, शासन रत्न अलंकरण से विभूषित देश-विदेश में जिनालयों की प्रतिष्ठा करवाने वाले सुप्रसिद्ध विधिकारक मनोज कुमार बाबूमल हरण, सोनपुरा (अहमदाबाद ) के देश में अनेक जिनालयों का निर्माण करवाने वाले इंजीनियर कमलेश भाई के देखरेख में शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि 20 नवम्बर 2022 को सुप्रसिद्ध जैन मंदिर व प्रतिष्ठाओं के मार्गदर्शक मनोज कुमार बाबूमल हरण नेतृत्व में विधिकारकों ने मंदिर में मूलनायक भगवान श्रीगंगेश्वर पार्श्वनाथ, भगवान नेमीनाथ, भगवान शांतिनाथ, नाकोड़ा भैरव, दादा कुशलगुरुदेव एवं शासन देवी की प्रतिमाओं को मूल गर्भगृह में प्रतिष्ठत किया गया था।
सेठी ने बताया कि धवल संगमरमर पत्थरों, वास्तु व प्राचीन शिल्पकला च नक्काशी से बना यह मंदिर हिन्दुस्तान में अपने आप में अनूठा व अलग ही मंदिर है। इसमें 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की परिक्रमा में 108 नाग के फण सहित दार्शनिक प्रतिमाएं परिक्रमा में प्रतिष्ठित की जा रही है। इसके अलावा मंदिर में प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ, 24 तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी और गणधर गौतम स्वामी, सुख, समृद्धि की देवी पार्श्वपदमावती, नाकोड़ा भैरव और दादा कुशलगुरुदेव की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। मंदिर में भगवान गंगेश्वर पार्श्वनाथ की काले संगमरमर की, भगवान शांतिनाथ व भगवान नेमीनाथ की सफेद संगमरमर की प्रतिमाओं की प्राचीन प्रतिमाओं को ही प्रतिष्ठत किया गया है वहीं नई मूर्तियों को जयपुर के सुप्रसिद्ध शिल्पकार निर्माण किया है। मंदिर में जैनधर्म के देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों यथा गिरनार तीर्थं, पालीतणा तीर्थ, अष्टापद तीर्थ, सम्मेद शिखरती के साथ बीस स्थानक महामंत्र व सिद्ध चक्र महामंत्र का 7 गुणा 5 फीट के पट््ट स्थापित किए जा रहे हैं। मंदिर में लगाया गया डेढ़ व दो नम्बर का धवल संगमरमर स्थापित किया गया है। मंदिर के पत्थरों को तराशने का कार्य मकराना के शिल्पी मकसूद भाई की देखरेख में किया गया है। मंदिर में त्रिपोलिया मुख्यद्वार 15 फीट ऊंचा एवं 18 फीट चौड़ा मुख्य द्वार स्थापित किया हा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के पिछवाड़े में 34 गुणा 80 फीट का आराधना भवन, भोजनशाला के साथ स्वधर्मी भाईयों के लिए सुदेव, सुगुरु व सुधर्म की साधना, आराधना व भक्ति के लिए 4 फलैट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। सभी निर्माण कार्यों को दिसम्बर 2023 तक पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण कार्यों में श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर जीर्णोंद्धार ट्रस्ट के ट्रस्टी मनोज सेठिया, भीखमचंद बरड़िया व हेमंत खजांची और ट्रस्ट के संयोजक पवन बोथरा और बीकानेर श्रीजैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, वर्द्धमान नवयुवक मंडल, विचक्षण महिला मंडल, खरतरगच्छ सामयिक श्राविका मंडल, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई, बीकानेर के भामाशाहों व अनेक शुभचिंतकों का अपूर्व सहयोग रहा है।