बीकानेर,अजित फाउण्डेषन ‘‘भारतीय संविधान: एक परिदृष्य’’ परिचर्चा की अध्यक्ष्यता करते हुए बीकानेर बार एषोसिएषन के अध्यक्ष एडवोकेट किषन सांखला ने कहा कि भारतीय संविधान भारत के समस्त नागरिकों को जीवन जीने के सम्पूर्ण अधिकार प्रदान करता है। भारतीय संविधान विष्व का सबसे वृहत लिखित संविधान जिसमें नागरिकों के लिए समस्त आवष्यक प्रावधान किए गए है। भारतीय संविधान का अतीत गौरवपूर्ण रहा है तथा निर्माण में सभी वर्गों एवं देष के प्रत्येक भाग से विधि वक्ताओं का योगदान अतुल्नीय है।
परिचर्चा के मुख्य वक्ता वरिष्ठ विधिवेत्त ओम प्रकाष सोनी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संविधान का अर्थ है वह व्यवस्था जो सब पर समान रूप से लागू हो। भारतीय संविधान अतीत में बौद्ध काल में गणराज्य व्यवस्था के रूप में शुरू हुआ जो समय-समय पर विकसित होता हुआ अंग्रेजो के शासन में लार्ड कार्न वालिस को भारतीय कानून व्यवस्था का जनक माना जाता है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक कार्न वालिस कोड कानून पर लिखी गई महत्वपूर्ण पुस्तक थी। वर्ष 1935 में बना भारत शासन अधिनियम वर्तमान भारतीय संविधान का आधार है जिसमें भारतीय विद्वान विधि वक्ताओं ने भारतीय व्यवस्थाओं के अनुरूप संविधान की रचना की जिसमें देष के प्रत्येक भूभाग का समान प्रतिनिधित्व था।
कार्यक्रम के आरम्भ में विषय प्रर्वतक के रूप में सहायक विधि परामर्षी शैलेन्द्र रंगा ने बताया कि भारतीय संविधान का अध्ययन भारत के प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए। हमारा संविधान हमें भारत की शासन व्यवस्था और नागरिकों में बन्धुत्व की भावना से साथ में जीना सिखाता है जिसमें आज के समय में बहुत अधिक आवष्यकता है। भारतीय संविधान रंगभेद, जाति व्यवस्था, धर्म व्यवस्था आदि किसी भी रूप में कोई भेद नहीं करता है यही हमारे संविधान की विषेषता है।
बाल न्यायालय के न्यायधिष अरविन्द सिंह सेंगर ने कहा कि भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधानों और मूलभूत अधिकारों के कारण ही कमजोर और वंचित वर्ग समान रूप से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढने के लिए स्वतंत्र है तथा बच्चों के संबंध में भारतीय संविधान में किए गए प्रावधान तथा न्यायिक सक्रियता ही वह बल है जिसने कार्यपालिका की मनमर्जी पर लगाम लगा रखी है।
विधिवेता धनराज सोनी ने कहा कि भारतीय संविधान का अध्ययन आज के परिपेक्ष्य में और भी अधिक आवष्यक हो जाता है जब हमें देष को एकजूट रखते हुए प्रगति पथ पर अग्रसर होना है।
कार्यक्रम में अधिवक्ता राजेष राजपुरोहित, जुगल व्यास, बसंत आचार्य, जया पुरोहित, एंटरप्रन्यौर मंजु सोनी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में रामनारायण, विकास छंगाणी, मनन श्रीमाली, हर्षित, प्रिया ओझा, मनोज, गौरीषंकर शर्मा सहित कई अधिवक्ता एवं श्रोतागण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन संस्था कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने किया।