बीकानेर,सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की त्रैमासिक पत्रिका राजस्थान भारती के नए अंक का लोकार्पण शुक्रवार को एमजीएस विश्वविद्यालय परिसर में हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित थे। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की।
प्रारंभ में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन करते हुए सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि शिक्षा और साहित्य में शोध की संभावनाएं हरेक कालखण्ड में बनी रहती हैं। शोधकार्य कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है, परन्तु वास्तविक रूप से सम्पादित शोध शोधार्थियों को भरपूर लाभ देता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान भारती पूर्व की भांति अपने स्तर को बनाए रखे। प्रोफेसर दीक्षित ने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी के विधार्थियों और शोधार्थियों को आवश्यक संसाधन सरकार उपलब्ध कराए तथा इसके लिए उन्हे पूरा सहयोग करे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय पूर्ण सहयोग करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट का इतिहास स्वर्णिम रहा है। आज़ादी से पूर्व बीकानेर रियासत द्वारा स्थापित सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की त्रैमासिक राजस्थान भारती पिछले छियतर बरसो से प्रकाशित हो रही है, उन्होंने कहा कि पूर्व प्रकाशित अंक आज भी प्रासंगिक है। तथा संस्था के लिए प्रसिद्ध लेखकों ने कार्य किया है। आगामी अंकों में इस स्तर को बनाए रखना चुनौती है। जोशी ने कहा कि पत्रिका में राजस्थानी लोक नाट्य, साहित्य, परम्पराओं और जीवन मूल्यों पर आधारित आलेख संकलित किए हैं। इससे पत्रिका की प्रासंगिकता बढ़ी है।
इस अवसर पर महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डाॅ.विठ्ठल बिस्सा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। यह समाज को दिशा दिखाने का कार्य करता है। उन्होंने शिक्षा और साहित्य को एक-दूसरे का पूरक बताया।
इससे पहले राजस्थान भारती के संपादक डॉ.अजय जोशी ने अंक में सम्मिलित आलेखों तथा इनके विषयों के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान भारती के अगले अंकों में हिंदी और राजस्थानी के साथ अंग्रेजी के शोध परक आलेख सम्मिलित किए जायेगे। कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार- शोधार्थी डाॅ. नमामी शंकर आचार्य ने किया।