बीकानेर,भगवान महावीर के सिद्धान्त युगों-युगों तक जीव मात्र के कल्याण के लिए सार्थक रहेंगे-जैनाचार्य श्रीपूज्यजी
बीकानेर, 17 अगस्त। जैनाचार्य श्रीपूज्यजी के सान्निध्य व यति अमृत सुन्दरजी, यति सुमति सुन्दर व यतिनि समकित प्रभा के नेतृत्व में पर्युषण पर्व के पांचवें दिन गुरुवार को भगवान महावीर का जन्मोत्सव भक्ति व उल्लास से मनाया गया। श्राविकाओं ने कांसी की थाली बजाई तथा भगवान महावीर की माता त्रिशला देवी को स्वप्न में दिखाई दी 14 वस्तुओं के दर्शन किए तथा पालने में परमात्मा को झुलाया। सत्य साधना शिविर के छठें दिन बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने बड़ा उपासरा, मुकीम बोथरा भवन, सूरज भवन व नाल में साधना की।
श्रीपूज्यजी ने नवंकार महामंत्र का सामूहिक जाप व सत्य साधना करवाते हुए कहा कि सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य, ब्रह्मचर्य का संदेश देने वाले 24 वें तीर्थंकर सर्वज्ञ, देवाधिदेव भगवान महावीर का चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन, शुभ घड़ी, शुभ लगन में हुआ। करीब ढाई हजार पूर्व वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में राजा सिद्धार्थ और उनकी धर्मपत्नी रानी त्रिशला के गर्भ से महावीर भगवान का जन्मे भगवान महावीर का बचपन का नाम वर्द्धमान था । उन्होंने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह माया और राज वैभव का त्याग कर आत्म व जग के कल्याण के लिए सन्यास (दीक्षा) ग्रहण की। भगवान महावीर ने अपने जीवनकाल में अहिंसा और आध्यात्मिक स्वतंत्रता, सभी जीवों के प्रति करुणा, दया व क्षमा के भाव रखने संदेश दिया। भगवान महावीर के सिद्धान्त युगों-युगों तक जीव मात्र के कल्याण के लिए सार्थक रहेंगे।
यति अमृत सुन्दरजी ने कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान क्षमा का पालन करें, क्रोध से मुक्त रहें। उन्होंने महावीर के समय की दमसार मुनि की कहानी सुनाते हुए कहा कि मन को नियंत्रित, कषायों से मुक्त रहकर,तपस्या, साधना, आराधना व भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। यति सुमति सुन्दर ने भगवान महावीर की माता क्षत्राणी त्रिशला देवी को दिखाई दिए 14 स्वप्न में गज, बैल, केसरी सिंह, लक्ष्मी,फूलमाला,चन्द्र, सूर्य,ध्वजा, कलश, पद्म सरोवर, रत्नाकर, रत्न राशि, भुवन विमान, निर्धूम अग्नि का वर्णन् किया। यतिनि समकित प्रभा ने कल्पसूत्र के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से भगवान महावीर व अन्य तीर्थंकरों के आदर्शों व शिक्षाओं से अवगत करवाया।