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बीकानेर,रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में सोमवार को पर्युषण पर्व के दूसरे दिन जांवरा उज्जैन के स्वाध्यायी भाई मनीष कोचर ने कहा कि जो हमेंं पावन करें उसे पर्व व जो हमें तारे उन्हेंं तीर्थं कहते हैं। उन्होंने पर्व शब्द का संधि-विच्छेद करते हुए पर्युषण पर्व में प यानी पाप को, र यानि राग-द्वेष को व यानि विसर्जित करें। पर्युषण पर्व हमारी आत्मा पर ेचढ़े कषाय,द्वेष, मान, माया व लोभ के आवरण को हटाकर मोक्ष व मुक्ति के मार्ग पर बढाता है। स्वाध्यायी भाई अरिहंत जैन ने श्रावक-श्राविकाओं के कर्तव्यों संघ पूजा, साधार्मिक भक्ति, यात्रिक, स्नात्र महोत्सव, देव द्रव्य में वृद्धि, महापूजन, जागरण, श्रुत भक्ति, उद्यापन, तीर्थ प्रभावना, व अपने कर्मों की
आलोचना कें बारे में बताया।
भगवान आदिनाथ सहित विभिन्न मंदिरों में अंगी व भक्ति
नाहटा चौक के भगवान आदिनाथ सहित विभिन्न जिनालयों में पर्युषण पर्व के दौरान प्रभु की प्रतिमाओं के विशेष अंगी की जाएगी तथा भक्ति का कार्यक्रम होगा। जैन मंदिरों में भी बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं चैत्य परिपाटी के तहत नियमित दर्शन कर रहे हैं। अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य रामलालजी महाराज के अनुयायियों ने सोमवार से पर्युषण की साधना शुरू की। सेठिया कोटड़ी सहित विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन सुनें।

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