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बीकानेर/ अजित फाउण्डेशन बीकानेर के तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम के शहिदों की गौरव गाथा गोविन्द जोशी की पुस्तक ‘देश के दीवानें’ पुस्तक चर्चा कार्यक्रम रविवार को संस्था सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर ‘देश के दीवाने’ पुस्तक पर चर्चा होना पुस्तक में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्वांजलि है। जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलनों पर बहुत लिखा जा चुका है लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों पर अभी काम और होना चाहिए। उन्होंने बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानियों ने दो तरीके की लड़ाई लडी़ अंग्रेजों एवं राजतंत्र के साथ मुकाबला किया। यहां के क्रांतिकारियांे ने भी देष की आजादी में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।
पुस्तक पर पत्रवाचन करते हुए युवा साहित्यकार सुनील गज्जाणी ने कहा कि देषभक्ति गीतों तथा देषभक्तों के जीवन के बारे में जानने से जोष आता है तथा हम अपने आप को आजादी पर्व के जोड़कर देखते है। गज्जाणी ने कहा कि आजादी आन्दोलन में देष में असंख्य क्रांतिकारियों ने हिस्सा लिया उसमें से कुछेक को छांटकर उन पर अपनी कलम चलना बहुत ही मुष्किल कार्य है, लेकिन गोविन्द जोषी ने इसको बखूबी निभाया है। उन्होंने अपनी पुस्तक के माध्यम से कई ऐसे क्रांतिकारियों के बारे में लिखा है जिनको हम नहीं पहचान थे। ‘देष के दीवाने’ पुस्तक में सम्मिलित क्रांतिकारी अधिकतर 14 से 21 वर्ष के नौजवान है जिनकी गाथा पढ़कर चेतना एवं जोष आता है।
पुस्तक के लेखक गोविन्द जोषी ने रचना प्रक्रिया बताते हुए कहा कि पुस्तक में सम्मिलित स्वतंत्रता सेनानियों से उनसे स्वयं मुलाकात की तथा कुछेक से पत्रवाचन किया। जोषी ने बताया कि उन्होंने ऐसे क्रांतिकारियों का चयन किया जिनके बारे में बहुत कम लिखा गया हो या आमजन कम जानते हो। इस अवसर पर उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता से जुड़े कई रोचक किस्सों के बारे में बताया तथा अपनी ओजस्वी भाषा में कविताओं के अंष सुनाए।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. अजय जोषी ने कहा कि पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में पुस्तक का सही तरीके से मूल्यांकन किया जा सकता है। इस प्रकार की चर्चाओं से लेखक को भी आत्मसंतुष्टि होती है। उन्होंने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें बीकानेर के क्रांतिकारियों को भी शामिल करना चाहिए।
अजित फाउण्डेषन के कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था की गतिविधयों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिमाह स्थानीय लेखक की पुस्तक पर चर्चा का आयोजन किया जाता है।
कार्यक्रम में डॉ. गौरीषंकर प्रजापत, जुगल किषोर पुरोहित ने अपनी बात रखी। कार्यक्रम में बी.एल. नवीन, गिरीराज पारीक, योगेन्द्र पुरोहित, पूर्व सरपंच श्रीगोपाल उपाध्याय, प्रेमनारायण व्यास, महेष उपाध्याय, ललित जोषी, दिनेष उपाध्याय आदि कई साहित्यकार शामिल हुए।
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने संस्था की तरफ से सभी को धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।

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