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बीकानेर,प्रतिष्ठित मीडिया ग्रुप एरडोरकॉम दुवारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित उच्च शिक्षा की समिट-2023 में बीकानेर तकनीकी विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने विशेष सत्र में 21वीं सदी के कौशल का विकास, डिजिटल साक्षरता एवं कुशल कार्यबल बनाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का योगदान विषय पर अपने विचार रखे। विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि मीडिया ग्रुप एरडोरकॉम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं विख्यात शिक्षाविदो ने शिकरत की, बतौर पैनल एक्सपर्ट के रूप में प्रो. विद्यार्थी ने शिक्षा नीति से जुड़े महत्तवपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया और अपने सुझाव प्रस्तुत किए। इस अवसर पर मीडिया समूह के प्रमोटर चंदन आनंद द्वारा प्रो. विद्यार्थी का स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया।

*कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने विशेष सत्र में दिए अपने संबोधन में कहा कि* एनईपी 2020 भारत में शिक्षा परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक दृष्टिकोण है। शिक्षा व्यवस्था में समय के साथ आए सुधारात्मक परिवर्तन को हमें सच्चे मन से अपनाना होगा। लचीली शिक्षा व्यवस्था शिक्षा जगत के सभी हितधारकों के लिए नवीन सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगी। लगातार बदलती दुनिया में, शिक्षा प्रणालियों को समाज की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुकूलित होना चाहिए। भारत में शिक्षा मुख्य रूप से उच्च शिक्षा व्यावहारिक कौशल के बजाय सैद्धांतिक समझ पर केंद्रित है। रोजगार के नवीन अवसर सृजित करने के लिए हमें इंडस्ट्रियल कोलोब्रेशन के साथ भी काम करना होगा। भारत में नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को तेजी से बदलती दुनिया के लिए तैयार करने के लिए उनमें 21वीं सदी के कौशल विकसित करने के महत्व पर जोर देती है। कौशल हासिल करने के लिए निरंतर सीखने और विकास की आवश्यकता होती है।

विद्यार्थियों को पुन : अपनी संस्कृति से जोड़ने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय सभ्यता संस्कृति और शिक्षा व्यवस्था काफी पुरातन है और एक वृहत सांस्कृतिक स्वरूप को लिए हुए हैं। जिसने विदेशी विद्यार्थियों को भारत में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आकर्षित किया हैं। विज्ञान, गणित, ज्योतिषी,रसायन शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, खगोल विद्या जैसी कई अन्य महत्वपूर्ण विद्याए है जिन्होंने अपने समय में शिक्षा व्यवस्था के स्वर्णिम इतिहास को लिखा हैं। हमें विद्यार्थी को जिज्ञासु बनाना होगा उसकी सोचने, समझने और विश्लेषण करने के व्यापक दृष्टिकोण के गुण को विकसित करना होगा । सृजनशीलता के साथ हमारा विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन कर सकता हैं। उच्च शिक्षा में शोध, अनुसन्धान और अकादमिक उत्कृष्टता के साथ देश के विश्विद्यालयों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। प्रचलित पाठ्यक्रम में नवाचारो को अपनाने के साथ हमे तकनीकी शिक्षा में नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम को अपनाना होगा ताकि हम विधार्थियों को रोजगारउन्मुखी शिक्षा प्रदान कर सके।

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