बीकानेर, भारतीय भाषाओं में अपनी अलग पहचान रखने वाले समृद्ध भाषा राजस्थानी जो कि भाषा वैज्ञानिक मानदण्डों के अनुरूप खरी है, जिसका साहित्यिक-सांस्कृतिक इतिहास वैभवपूर्ण है। ऐसी भाषा राजस्थानी के प्रति राज्य सरकार उदारवादी नीति रखते हुए भाषा के विकास हेतु कुछ निर्णय शीघ्र लें इस बाबत राज्य के मुख्यमंत्री एवं कला साहित्य मंत्री से राजस्थानी युवा लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमल रंगा ने मांग करते हुए कहा कि करोड़ों लोगों की जन भावना एवं अस्मिता के साथ सांस्कृतिक पहचान रखने वाली राजस्थानी भाषा जो कि राजस्थान में करोड़ों लोगों की मातृ भाषा है। उसे प्राथमिक शिक्षा के स्तर से छत्तीसगढ़ की मातृ भाषा छत्तीसगढ़ी भाषा की भांति प्रदेश मंे शिक्षा का माध्यम शीघ्र बनाया जाए।
प्रदेश में राजस्थानी भाषा के लोक साहित्य का समृद्ध भण्डार है, साथ ही प्रदेश की लोक संस्कृति की भी वैभवपूर्ण परम्परा है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में राजस्थानी लोक साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का गठन किया जाए जिसकी मांग पूर्व मंे भी होती रही है।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के व्यापक हित में राजस्थानी अकादमी को अन्य भाषा अकादमियों की भांति शीघ्र अतिरिक्त बजट आवंटित किया जाए, ताकि राजस्थानी अकादमी अतिरिक्त बजट के माध्यम से गत वर्षों के पुरस्कार एवं पाण्डुलिपि सहायता आदि देकर अन्य भाषा अकादमियों की भांति एक सकारात्मक-साहित्यिक नवपहल कर सके, जिससे राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वालों को भी उचित मान-सम्मान एवं प्रोत्साहन मिल सके।