बीकानेर,राज्य में विधानसभा चुनाव को चार महीने का समय शेष बचा है. भाजपा और सत्ताधारी कांग्रेस के रणनीतिकार अभी से ही एक-दूसरे को मात देने के लिए सियासी रणनीति बनाने में मशगूल हैं. साथ ही कांग्रेस ने तो पहले ही यह साफ कर दिया है कि पार्टी सितंबर माह में टिकट वितरण शुरू करेगी. प्रत्याशियों के चयन के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी आलाकमान की ओर से सर्वे करवाए जा रहे हैं. ताकि जिताऊ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जा सके, लेकिन इससे पहले ही पार्टी में कुछ सियासी संकट भी देखने को मिले हैं. इस संकट के केंद्र में बीकानेर पश्चिम विधानसभा से विधायक व राज्य के वरिष्ठ मंत्री बीडी कल्ला हैं, जिनको लेकर चर्चाओं का बाजार एकदम से गर्म हो गया है.
बड़ा सियासी संकेत : एक ओर युवाओं को अधिक से अधिक मौका देने की बात कही जा रही है तो वहीं एक धड़ा अनुभव को अधिक तरजीह देने की वकालत कर रहा है. यह आलम कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख पार्टियों में समान रूप से बनी हुई हैं. हालांकि, इन दिनों कुछ ऐसे ही घटनाक्रम देखने को मिले हैं, जो दलगत वरिष्ठों को साइडलाइन करने से जोड़कर देखा जा रहा है. खैर, ये केवल इत्तेफाक मात्र हैं या फिर इसके पीछे भी कोई बड़ा सियासी संकेत है, फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है.
चर्चा के केंद्र में मंत्री बीडी कल्ला – दरअसल, पिछले कई दिनों से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में मंत्री बीडी कल्ला को लेकर एक अलग ही चर्चा है. कुछ दिन पहले राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान के 30 नेताओं के साथ आगामी चुनावी रणनीति पर चर्चा की थी. इस बैठक में राजस्थान के नेताओं में मंत्री बीडी कल्ला का नाम शामिल नहीं था. जबकि राजस्थान कांग्रेस के मंत्रिमंडल में कल्ला एक मात्र ऐसे नेता हैं, जो पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इस चर्चा के बाद चुनाव को लेकर बनी चुनाव अभियान समिति घोषित हुई पॉलीटिकल अफेयर्स कमेटी में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया. जबकि बीकानेर संभाग से पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, कैबिनेट मंत्री गोविंद मेघवाल और गंगानगर के जिला प्रमुख कुलदीप इंदौरा को इसमें शामिल किया गया है. जबकि वरिष्ठ के लिहाज से कल्ला इन तीनों से काफी सीनियर हैं.
लोकेश बना रहे माहौल : इन सब के बीच मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा भी पिछले माह कई बार बीकानेर आकर माहौल बना चुके हैं. हालांकि, लोकेश शर्मा के बीकानेर से चुनाव लड़ने की संभावनाओं में कोई ज्यादा गंभीरता देखने को मिल नहीं रही है. बावजूद इसके उनके बयानों ने इस तरह की अटकलों को जन्म दिया है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये सब महज इत्तेफाक नहीं हो सकता है.
पहले भी मिली जिम्मेदारी : ऐसा पहली बार हुआ है कि जब चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस की किसी भी कमेटी में कल्ला का नाम शामिल नहीं है. जबकि इससे पहले विधानसभा चुनाव में कल्ला कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सरकार में बनाई गई मंत्रियों की अधिकांश कमेटियों में कल्ला अध्यक्ष बनाए जाते रहे हैं.
सियासी जानकार इसके कई मायने निकाल रहे हैं. यही वजह है कि कल्ला के समर्थकों की भी बेचैनी बढ़ने लगी है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी का एक धड़ा कल्ला को साइडलाइन करने के फिराक में है और उनके नाम को एक के बाद एक कमेटियों से अलग किया जा रहा है.