बीकानेर,खाजूवाला और छत्तरगढ का आन्दोलन अब जनआन्दोलन बनता जा रहा है। वर्ष 2004 में भी इसी तरह से आन्दोलन चला और बाद में बड़ा जनआन्दोलन बन गया था और लगभग आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान भी आन्दोलन के दौरान चली गई थी। सरकार को आन्दोलनकारियों के साथ समझौता करना पड़ा था।
जब से खाजूवाला और छत्तरगढ को अनूपगढ जिले में शामिल किया है, तब से लेकर आजतक खाजूवाला और छत्तरगढ की जनता घर बार और काम धन्धा छोड़कर सड़कों पर उतरी हुई है। धरना स्थल पर इतनी ज्यादा भीड़ आनी शुरू हो गई है कि जगह भी कम पड़ने लगी है। पिछले 6 दिनों से खाजूवाला का व्यापार पूरी तरह से बन्द है। कोरोना काल में बाजार बन्द था लेकिन आपातकालीन सेवाऐं शुरू रही थी लेकिन इस जनआन्दोलन में मेडिकल तथा लेबोरट्री भी बन्द रही तथा एकता का परिचय दिया वहीं सब्जी बाजार पिछले 6 दिनों से बन्द है जो कि ताजा कमा कर खाने वाले व्यापारी हैं वहीं राशन, खाद, बीज, गुड़, चीनी तथा जिन्सों की बोली सब कुछ बन्द है, ऐसे में अगर सरकार नहीं जागी तो आने वाले दिनों में ये आन्दोलन और तेज तथा बड़ा होगा क्योंकि अब गांव-गांव, चक और ढ़ाणी-ढ़ाणी से आमजन अपने घरों से निकल चुका है। विशेषकर युवाओं में जो जुनून और उत्साह है, वो तारीफे काबिल है। शुक्रवार को एक अन्य गुट द्वारा अनूपगढ जिला बनने पर धन्यवाद के नाम पर रैली निकालने पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। आन्दोलनकारियों तथा पुलिस-प्रशासन की समझाईश से बड़ी मुश्किल से मामला शांत करवाया गया। वर्तमान में युवाओं का जोश, उत्साह और गुस्सा बहुत ज्यादा भर चुका है और मंच के माध्यम से युवाओं के भाषण में ये झलकता है।
पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी चुल्हा चौका छोड़कर अब धरना स्थल पर आना शुरू कर दिया है और ये भी कहना शुरू कर दिया है कि जब-जब महिला शक्ति जागी है, तब-तब इतिहास बदला है। शुक्रवार को धरना-प्रदर्शन में महिलाऐं शामिल हुई तथा उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन दिया। बुजुर्ग व्यक्ति भी धरना-प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। ज्ञात रहे जब विधानसभा क्षेत्र लूणकरणसर था या फिर अब खाजूवाला है, ये क्षेत्र हमेशा कांग्रेस का गढ रहा है लेकिन अब सबसे ज्यादा आन्दोलन में भाग लेने वाले भी कांग्रेसी लोग आगे आ रहे हैं। और जमकर अनूपगढ जिले में खाजूवाला को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार दोपहर में धरना स्थल पर सुन्दरकाण्ड का आयोजन हुआ वहीं सायं 5ः30 बजे मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा धरना स्थल पर असर की नमाज अदा कर क्षेत्र में अमन, चैन की दुआ मांगी।
दंतौर को उपतहसील का दर्जा अवश्य मिल गया लेकिन उसे बीकानेर जिले में रखा गया और अब दंतौर का सीओ सर्किल लूणकरणसर होगा, ऐसे समाचार सोशल मीडिया पर आ रहे हैं। क्या दंतौर क्षेत्र के लोग पुलिस उपअधीक्षक से न्याय लेने के लिए लूणकरणसर जायेंगे जो कि आनंदगढ, बल्लर से 200 किमी, दंतौर से लगभग 150 किमी तथा पूगल से लगभग 120 किमी की दूरी पर है। अगर दंतौर के किसी व्यक्ति को पुलिस थाना में न्याय नहीं मिला तो उसे पुलिस उपअधीक्षक कार्यालय लूणकरणसर जाने के लिए हजारों रुपये का खर्चा कर तथा समय बर्बाद कर न्याय की गुहार लगानी पड़ेगी, क्या ये उचित है। दंतौर उपतहसील में अगर कोई व्यक्ति आनंदगढ या बल्लर से लूणकरणसर जायेगा तो उसे लगभग 200 किमी का सफर तय करके पुलिस उपअधीक्षक लूणकरणसर से मुलाकात करनी होगी। अगर अधिकारी किसी कारणवंश न मिले तो 400 किमी का सफर तथा दिन भर काम-काज छोड़कर जाने का क्या फायदा हासिल हुआ। दंतौर और पूगल खाजूवाला सर्किल में थे तो न्याय के लिए मात्र 30 किमी का सफर तय करना पड़ता था जोकि आमजन के लिए काफी सस्ता और सुलभ था लेकिन ये इस तरह का विभाजन कर आमजन को हमेशा के लिए बर्बाद करने का काम हो रहा है। इसलिए खाजूवाला और छत्तरगढ के साथ-साथ दंतौर और पूगल की आम आवाम को भी इसके बारे में सोचना चाहिए कि आपको सीओ सर्किल खाजूवाला चाहिए तथा फिर लूणकरणसर। अगर दंतौर और पूगल के लोग अब नहीं जागे तो आने वाले समय में भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
पुलिस, प्रशासन, सीआईडी, आईबी, मीडिया तथा आमजन की आवाज को राज्य के मुखिया अशोक गहलोत को समझना चाहिए तथा खाजूवाला और छत्तरगढ को यथावत बीकानेर में रखते हुए एक अच्छे प्रशासक का परिचय देना चाहिए। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनकल्याणकारी योजनाओं का आमजन को जो लाभ मिला है वो वर्तमान में खाजूवाला, पूगल, दंतौर तथा छत्तरगढ में गौण नजर आ रहा है, ऐसे में पिछले साढे चार वर्ष में राजस्थान सरकार द्वारा किये गये विशेष जनकल्याणकारी कार्य लुप्त हो रहे हैं तथा जनआन्दोलन आगे बढ़ रहा है। गहलोत सरकार ने ओपीएस, महंगाई राहत कैम्प तथा दर्जनों ऐसी जनकल्याणकारी योजनाऐं लागू की है जो आमजन को कहीं ना कहीं लाभ दे रही हैं। वर्तमान हालात में बीकानेर जिले की विधानसभा खाजूवाला जो कि भारत-पाक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर है, यहां सरकार की योजनाओं का महत्व दिख नहीं रहा क्योंकि एक तरफ खोखा-रेहड़ी यूनियन का धरना चल रहा है वहीं दूसरी तरफ खाजूवाला में आमजन का बहुत बड़ा जनआन्दोलन शुरू हो गया है और ये जनआन्दोलन अब रूकता नजर नहीं आ रहा। छत्रगढ के लोग भी सड़कों पर हैं। अगर गहलोत सरकार आगे आकर खाजूवाला को जिला बनाने की घोषणा करे या फिर खाजूवाला और छत्तरगढ को यथावत बीकानेर में रखने की घोषणा करे तो जनआन्दोलन का समाधान हो सकता है अन्यथा ये आन्दोलन वर्ष 2004 जैसा भी हो सकता है।
कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं कि ये धरना भाजपाईयों का है, ऐसा ही वर्ष 2004 के आन्दोलन में हुआ था। राज्य में भाजपा की सरकार थी और कहा गया कि धरना कांग्रेसियों का है। सरकार तक गलत रिपोर्ट जाने के कारण कुछ ही समय में आन्दोलन का रूप बड़ा हुआ और किसानों जनआन्दोलन बन गया। ज्ञात रहे खाजूवाला के धरना-प्रदर्शन को भाजपाईयों का आन्दोलन बता कर राज्य के मुख्यिा गहलोत को भी गुमराह किया जा रहा है। खाजूवाला में कोई अगर धरातल की रिपोर्ट देखे तो यहां पर जनआन्दोलन में सबसे ज्यादा कांग्रेसी बैठे हैैं। कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम समाज धरने पर बैठा है। खाजूवाला और छत्तरगढ को अनूपगढ में शामिल करने का लगातार विरोध भी कर रहा है। अब तो समय आ गया है कि दंतौर और पूगल के लोगोें को भी जागना पड़ेगा अन्यथा उनके साथ भी ऐसा ही होगा। सबसे पहले सीओ सर्किल लूणकरणसर कर उनके उपर कुठाराघात किया गया है। आनंदगढ, बल्लर, दंतौर और पूगल का व्यक्ति जब पुलिस के सीओ से मिलने लूणकरणसर जायेगा तो उसके पता चलेगा कि खाजूवाला में रहना उचित था या फिर जो हालात अब बने हुए हैं। अभी भी समय है कि विधानसभा क्षेत्र खाजूवाला के लोगों को जागना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं कि हमें अपने हाथों से बनाये क्षेत्र को बर्बाद होते देखा जा सकेगा ओर फिर हम कुछ नहीं कर सकेंगे। विधानसभा क्षेत्र खाजूवाला का प्रत्येक व्यक्ति चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा है कि हमें हमारे बीकानेर जिले में ही रहना है क्योंकि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा हब बीकानेर ही है। बीकानेर में चिकित्सा और शिक्षा के लिए पंजाब तथा हरियाणा राज्यों तक के लोग आते हैं और खाजूवाला विधानसभा क्षेत्र के लोगों को जानबूझ कर अनूपगढ में धकेला जा रहा है, ये कहा का न्याय है।
खाजूवाला के धरना स्थल पर तो यह बात आम हो गई है कि अगर खाजूवाला और छत्तरगढ को बीकानेर में शामिल नहीं किया गया तो ईंट से ईंट बजा देंगे और वोटों की ढोलकिया गहलोत साहब तक खाली ही पहंुचेगी। खाजूवाला ही नहीं पूरे बीकानेर जिले में ये चिंगारी जारी रहेगी कि इस बार बीकानेर जिले के कांग्रेसी उम्मीदवारों को हराने का काम किया जायेगा। जिन्होंने खाजूवाला, छत्तरगढ, पूगल तथा दंतौर को उजाड़ने का काम किया है, उन्हें सबक सिखा कर ही रहेंगे। अभी भी समय है कि राज्य के मुखिया को संज्ञान लेते हुए खाजूवाला तथा छत्तरगढ को बीकानेर जिले में यथावत रखें या फिर खाजूवाला को जिला बनाने की घोषणा तुरंत प्रभाव से करें।