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बीकानेर, सूर्य प्रकाशन मंदिर एवं राजस्थानी मोट्यार परिषद द्वारा लोक निजर उछब में डॉ.गौरीशंकर प्रजापत, विभागाध्यक्ष राजस्थानी विभाग का राजस्थानी कविता संग्रह ‘भळै भरोसो भोर रो’ का लोकार्पण महाराजा नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम, बीकानेर में किया गया। मुख्य अतिथि साहित्य अकादेमी दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि राजस्थानी का भविष्य उज्ज्वल है आज के युवाओं को अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देना चाहिए। डॉ.गौरीशंकर प्रजापत को बधाई देता हूं कि वे इस तरफ युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं। चारण ने कविताओं के कथ्य एवं शिल्प को परिभाषित करते हुए बताया कि इस संग्रह की कविताएं सवाल करती है। जो कविताएं सवाल करती हों वे ही मनुष्य को आगे बढाने में सहायक होती है। उन्होंने कहा ये कविताएँ लोक की कविताएँ आलोक फैलाती है, अँधेरे में प्रकाश का काम करती है। विशिष्ट अतिथि प्रशांत बिस्सा ने इस काव्य संग्रह की रूपरेखा पर विस्तार से अपनी बात रखी। कवयित्री डॉ.रेणुका व्यास ने पुस्तक पर पत्रवाचन के माध्यम से यह बताया कि तीन खण्डों में विभक्त जीवन का यथार्थ और जीवन सार में गूंथा हुआ यह कविता संग्रह प्रेम और जीवन के बीच समन्वय का काम करेगा। इस काव्य संग्रह में महत्वपूर्ण विचारात्मक कविताएं हैं जो मानव चेतना की बात करती प्रतीत होती है। कवि डॉ.गौरीशंकर प्रजापत ने काव्य संग्रह में से बादसाह कविता से बताया; गीत भणतां ही / म्हैं लखग्यो कै / औ जगत थारी लीला है / जीवण थारो खेल / थूं खुद बादसाह बण’र / जगत नै बणा दी बिसात, सतरंज री / जिण माथै / चालण री बिसात नीं है, प्यादां री। इसके साथ चुनिंदा कविताएं हेत रो आखर, सीख, आत्मा रो मोल, हांडी, का वाचन किया। शिक्षाविद वेद शर्मा ने कवि के रचनात्मक दृष्टिकोण एवं बिम्ब विधान की तरफ ध्यान आकृष्ट किया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए केन्द्रीय साहित्य अकादेमी दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्शक मंडल के पूर्व सदस्य एवं पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि जो भाषा जनता में श्रेष्ठ मानी जाती है वही जानी जाती है। काव्यसंग्रह में लयात्मकता है और कवि अपनी कविताओं के माध्यम से मनुष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। कवि ने लोक मन को प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया है।

इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया। तत्पश्चात राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रत्नूं ने पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए अतिथियों का शब्दाभिषेक किया। लेखक ने अपना काव्य संग्रह चुनिंदा साहित्यकारों भंवरलाल भ्रमर, कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र जोशी, गणेशीलाल कुमावत, डॉ.हरिराम विश्नोई, कुमार गणेश, एड.हरिराम जाळप, डॉ.नमामीशंकर आचार्य, गृह लक्ष्मी श्रीमती उषा प्रजापत आदि को भेंट किया। संचालन रंगकर्मी, उपन्यासकार हरीश बी. शर्मा ने किया। साहित्यकार संजय पुरोहित ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में कृष्णलाल विश्नोई, सुधा आचार्य, डॉ.अजय जोशी, जगदीश प्रसाद रत्नूं, चंद्रशेखर जोशी, आर.के.सुथार, विनीता शर्मा, शंकरसिंह राजपुरोहित, इरशाद अजीज नोखा से नेमीचंद गहलोत, राजेशा रंगा, नागेन्द्र किराडू, समीक्षा व्यास, डूंगर गढ़ से विजय महर्षि, गिरिराज खैरीवाल, नीतू बिस्सा, शकूर बीकाणवी, किशोर मंगलाव, के साथ मोयियार परिषद के प्रशांत जैन, राजेश चौधरी, हिमांशु टाक, एड.राजेश विश्नोई, राजूनाथ, सहित पूरी टीम सहित नगर के गणमान्य उपस्थित थे।

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