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बीकानेर, रेत के धोरों के बीच बने खेल मैदान में धोती-कुर्ता पहने और सिर पर पगड़ी लगाए लगभग साठ साल के ग्रामीण ने कबड्डी-कबड्डी बोलते हुए जैसे ही खेल मैदान में प्रवेश किया, तो वहां मौजूद लोग तालियां बजाने लगे। वहीं पारम्परिक वेशभूषा में ग्रामीण महिलाओं ने रस्साकस्सी में जोर आजमाइश देखने को मिली और स्कूली बालिकाओं ने तेज गेंदबाजी में हाथ आजमाया तो वहां मौजूद महिलाओं की आंखों में गर्व की अनुभूति साफ दिखी।
कुछ ऐसे ही दृश्य सोमवार को जिले के लगभग प्रत्येक खेल मैदान पर दिखे। अवसर था राज्य सरकार की पहल पर आयोजित किए जा रहे राजीव गांधी ग्रामीण एवं शहरी ओलम्पिक खेलों की स्पर्धाओं का। लगातार तीसरे दिन इनके प्रति खासा उत्साह दिखा। हालांकि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में यह क्रेज चरम पर था। आम दिनों में स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों को गांवों के खेल मैदान में अलग-अलग खेल प्रतियोगिताएं देखने का मौका मिला।
जिले की 366 ग्राम पंचायतों और शहरी क्षेत्र के 29 क्लस्टर क्षेत्रों में विभिन्न खेल स्पर्धाएं हुई। इनमें हजारों खिलाड़ियों ने भाग लिया। जिनमें हर उम्र के खिलाड़ी शामिल रहे। पांचू के रासीसर में ग्रामीण पुरूषों के बीच कबड्डी और महिलाओं के बीच खेला गया रस्साकस्सी का मुकाबला आकर्षक का केन्द्र रहा। कोलायत की बालिकाओं की टीम ने क्रिकेट के मैदान पर बल्लेबाजी और गेंदबाजी की। इस दौरान बड़ी संख्या में दर्शक भी मौजूद रहे। उधर, खिलाड़ियों ने खेल भावना से जुड़ी शपथ ली और ई-शपथ के वल्र्ड रिकाॅर्ड के अभियान में अपनी भागीदारी निभाई।
खेलों के दौरान लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी दी गई। इनमें स्कूली विद्यार्थी भी शामिल रहे। केसरिया बालम लोक गीत और कालबेलिया नृत्य को विशेष सराहना मिली। वहीं ओलंपिक खेल के थीम सॉन्ग पर भी ग्रामीणों ने नृत्य किया।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने उपखण्ड अधिकारियों और मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी से खेलों से जुड़ा फीडबैक लिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक खेल मैदान पर सभी आवष्यक व्यवस्थाएं हों। अधिकारी इनका सतत निरीक्षण करें। उल्लेखनीय है कि जिले में राजीव गांधी ओलम्पिक खेलों की ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय स्तरीय प्रतियोगिताएं 5 अगस्त से शुरू हुई। इन खेलों के लिए 2 लाख 17 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने अपना पंजीकरण करवाया था।

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