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बीकानेर जिले में रोजाना सौ से ज्यादा गाडय़िों में किरानो के सामान का परिवहन होता है। कार्रवाई एक पर भी नहीं की जाती है। दिखावे के तौर पर छोटी मोटी कार्यवाही कर जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन उपलब्धियों के नाम पर स्थिति शून्य रही। कार्रवाई के नाम पर यदा-कदा एक या दो गाडय़िां पकड़ कर खानापूर्ति कर दी जाती है।*
बीकानेर। राज्य कर विभाग में कथित मिलीभगत के चलते सरकार को रोजाना भारी राजस्व नुकसान झेलना पड़ रहा है। जबकि मुख्यालय से महीने में कम से कम दो बार अनिवार्य रूप से सर्वे का निर्देश है, लेकिन न तो सर्वे किया जाता है और न ही रोड चेकिंग की कार्रवाई । इसके चलते किराना के सामान और ड्राई फ्रूट से भरी गाडय़िां बेधडक़ अपने गंतव्यों पर पहुंचकर सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा रही है। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन तकरीबन दो करोड़ के राजस्व का नुकसान जिले भर में हो रहा है। जिले में किराना कारोबार करीब दस हजार से ज्यादा दुकानें है। इसमें छोटी व बड़ी सभी दुकानें शामिल हैं। इन पर किराना के सामान और ड्राई फ्रुट की आपूर्ति शहर के बड़े डीलरों के मार्फत होती है। जबकि डीलरों एवं दुकानदार के बीच खरीद- बिक्री रसीद उपलब्ध नहीं रहती है। डीलरों के जरिये किराना का सामान दुकानदारों के माध्यम से सीधा उपभोक्ता तक पहुंचता है। इससे जीएसटी का हिस्सा सीधा दुकानदारों व डीलर की जेब में जाता है। जीएसटी में राजस्व नुकसान की पड़ताल में सामने आया कि रिटेलर दुकानदारों के पास खरीद की कोई रसीद नहीं है। रिटेलर दुकानदार को भी डीलर से रसीद नहीं मिलती। बिना रसीद किराना सामान की बिक्री पर सरकार को पूरा 70 प्रतिशत का राजस्व का नुकसान हो रहा है। जानकारों ने बताया कि होटल पर पांच , ज्वेलरी पर तीन , सीमेंट पर 28 व आयरन पर आठ प्रतिशत जीएसटी लगती है। इनमें ज्यादातर उत्पादों की बिक्री व खरीद की पक्की रसीद नहीं बनवाते हैं। इससे जीएसटी से 400 से 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान सरकार हो रहा है।

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