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बीकानेर,सब्जियों के बाद अब मसालों की कीमतों (Spices Price) में आग लगने की आशंका है. पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल कुछ मसालों की कीमतों में डबल डिजिट में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इसमें सबसे अधिक जीरा की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है.

इसकी खुदरा कीमतें पिछले महीने सालाना आधार पर लगभग 75 फीसदी बढ़ गईं. सब्जियों के बाद अब महंगे मसाले लोगों के खाने का जयका बिगाड़ सकते हैं. कीमतें में बढ़ोतरी की वजह मौसम को बताया जा रहा है.

फसलों का नुकसान

विशेषज्ञों के अनुसार अनियमित मौसम की स्थिति और गिरते उत्पादन के कारण मसाले की कीमतें बढ़ रही हैं. स्थिति गंभीर बनी हुई है, क्योंकि कीमतों में राहत अगले कैलेंडर वर्ष तक ही मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. खासकर जीरा की कीमतों में राहत के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं. जीरा साल में एक बार उपजने वाली फसल है और इस साल लगभग 30 से 40 फीसदी तक इसकी क्षति हुई है.

मसालों की खेती प्रभावित

जानकारों के अनुसार, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण कारण हल्दी जैसी कई फसलों की बुआई में भारी गिरावट देखी गई है. बिपरजॉय के कारण राजस्थान में धनिया बेल्ट का सफाया हो गया है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कम बारिश के कारण सूखी मिर्च का उत्पादन कम हो गया है. बता दें कि जनवरी 2023 के बाद से मसालों की कीमतों में नरमी देखने को मिली थी. तब मसालों के भाव में सालाना आधार पर 21 फीसदी की महंगाई थी. लेकिन पिछले महीने से एक बार फिर से मसालों की कीमतों में तेजी आई है.

कम हुआ उत्पादन

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (NCDEX) के डेटा के अनुसार, इस साल की शुरुआत से ही जीरे की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. 19 जून को गुजरात के मेहसाणा जिले की उंझा कृषि उपज बाजार समिति मंडी में 50,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से ऊपर चली गई थीं और 18 जुलाई को 60,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छू लिया. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जीरा उत्पादन 2019-20 में 9.12 लाख टन (LT) से गिरकर 2020-21 में 7.95 लाख टन और 2021-22 में 7.25 लाख टन हो गया.

सप्लाई में गिरावट

विशेषज्ञों के अनुसार, अगले सीजन के लिए जीरा के कम उत्पादन को लेकर भी चिंताएं हैं. क्योंकि इस साल जून में चक्रवात बिपरजॉय के कारण गुजरात और राजस्थान दोनों भारी बारिश और तूफान से प्रभावित हुए थे. लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया में जीरा का सबसे बड़ा उत्पादक है. लेकिन फसल की नुकसान की वजह से इसकी आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका बढ़ रही है. जीरा कमोबेश भारतीय घरों की एक आवश्यकता है. इसलिए इसकी भारी मांग है. लेकिन इसकी सप्लाई में अचनाक गिरावट देखने को मिल रही है.

इस महीने जारी इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात और राजस्थान जो भारत के जीरा उत्पादन में क्रमशः 55.8 प्रतिशत और 43.9 प्रतिशत का योगदान करते हैं. इन राज्यों में मार्च-अप्रैल-मई के दौरान अधिक बारिश दर्ज की गई.

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