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बीकानेर, रांगड़ी चौक के बड़ा उपासरा में गुरुवार को यतिश्री अमृत सुन्दरजी, यति सुमति सुन्दरजी व यतिनि समकित प्रभाश्री ने कहा कि ध्यान, श्रद्धा व भक्ति से आत्म व परमात्मा के सही स्वरूप् की प्राप्ति संभव है। उपासरे में शुक्रवार सुबह नौ बजे से दस बजे तक भक्तामर स्तोत्र पर विशेष प्रवचन शुरू होंगे।
यति अमृत सुन्दरजी ने बताया कि राजा भोज के समय मानतुंगाचार्यजी द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म की उत्तम भक्ति रचना के रूप् में प्रतिष्ठित है। इसमें प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के स्वरूप का वर्णन है। भगवान आदिनाथ के इसमें परमात्मा के सभी गुणों, वीतराग, तीर्थंकर, ज्ञान, ध्यान व भक्ति का वर्णन है। उन्होंने कहा कि परमात्मा की भक्ति से सत्य व प्रेम बढ़ता है। भक्ति से ही संसार व भवसागर से मुक्ति संभव है। अनन्य भाव से परमात्मा को भजने वाले, उनकी भक्ति करने वाले भक्त अमर हो जाते है। हमें परमात्मा का अहंकार रहित विनम्रता व श्रद्धा के सच्चा भक्त बनने का पुरुषार्थ व प्रयास करना चाहिए।
यति सुमति सुन्दरजी ने कहा कि मंदिर स्तोत्र, भजन व भक्ति रचनाओं के माध्यम से लोग परमात्मा के बताएं मार्ग पर चलने का संकल्प लेते है। मंदिर से बाहर निकलते ही सांसारिक भूल भुलैया में खो जाते है, इसलिए आत्म व परमात्म तत्व से सही तरीके से जुड़ नहीं पाते है। यतिनि समकित प्रभाश्री ने ’’साधना करता छूटे म्हारा प्राण’’ भजन सुनाते हुए कहा कि सत्य साधना के मार्ग पर बढ़े । हीरे से भी ज्यादा कीमती मानव देह को भक्ति व मुक्ति के मार्ग पर लगाएं। मानव जीवन का बेस्ट उपयोग करते हुए मोक्ष की यात्रा शुरू करें। सुप्रसिद्ध गायक पीन्टू स्वामी ने श्रद्धा भक्ति गीत ’’ म्हाने प्रेम प्यालों पायो रे’’ सुनाया।

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