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बीकानेर,प्रगतिशील विश्व में जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार 1804 में विश्व की जनसंख्या 1 अरब ज्ञात हुई।

विश्व की जनसंख्या 1960 में 3 अरब के लगभग ज्ञात हुई, जो की 1987 में 5 अरब तक बढ़ गई।

बढ़ती जनसंख्या को मद्देनजर रखते हुए डॉक्टर किसी ने विश्व जनसंख्या दिवस
का सुझाव प्रकट किया।

विश्व की जनसंख्या की वृद्धि की जागरूकता तथा हानिकारक प्रभाव में नियंत्रण हेतु 11 जुलाई 1989 में विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना की गई।

विश्व जनसंख्या दिवस उद्देश्य

विश्व की जनसंख्या 8 अरब से अधिक होने के कारण यह एक चिंताजनक विषय है। जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभाव से पर्यावरण असंतुलन के कारण प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं जिसका दुष्प्रभाव जीव जंतुओं पर पड़ रहा है तथा सामान्य जीवन भी कठिन होता जा रहा है।

अतः विश्व को स्थाई जनसंख्या प्राप्ति हेतु सजग प्रयासों की आवश्यकता है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2023 थीम

प्रतिवर्ष संपूर्ण विश्व एकजुट होकर कार्य करे इस हेतु एक थीम बनाई जाती है जिसके तहत विश्व भर में जनसंख्या दिवस मनाया जाए।

2023 वर्ष की थीम है “ऐसे विश्व की कल्पना करना जहां सभी 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं व संभावनाओं से भरपूर हो।

भविष्य अनुमानित आंकड़े

विश्व की जनसंख्या एक अरब होने में हजारों वर्ष लगे परंतु 200 वर्षों में
लगभग 7 गुना वृद्धि हुई।

विश्व की जनसंख्या 8 अरब से अधिक है। इसी दर से वृद्धि अनुसार 2030 में
लगभग 8.5 अरब, 2050 में 9.7 अरब व 2100 में 10.9 अरब जनसंख्या के अनुमानित आंकड़े प्राप्त हुए हैं। इस अनुसार भविष्य की पीढ़ियों के लिए विकट जीवन व दूरगामी परिणाम होंगे।

हमारी बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता को कैसे प्रभावित करती है?

भारतीय जैव विविधता संरक्षण संस्थान के अनुसार बढ़ती जनसंख्या का
नकारात्मक असर हमारी जैव विविधता पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है | हानि का
मुख्य कारण भूमि उपयोग परिवर्तन (मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर खाद्य
उत्पादन के लिए) है जो वैश्विक स्तर पर जैव विविधता में अनुमानित 30% की
गिरावट का कारण बनता है। दूसरा है प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जैसे ईधन
के लिए वनों की कटाई, अनियंत्रित खनन, अत्यधिक मछली पकड़ने,
आर्द्रभूमियों को कृषि भूमि में परिवर्तित करना, जो लगभग 20% का कारण
बनता है।

पुराने बड़े पेड़ों को काटना, जिन्हें विकसित होने में वर्षों लग जाते
हैं, प्रतिदिन नए अपार्टमेंट, कॉलोनियाँ, सँस्थाए, राजमार्ग बनाए जा रहे
हैं। हमने अपनी बेतहाशा बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अन्य प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को भी नष्ट कर दिया है, नदियों को प्रदूषित कर दिया है, यहाँ तक की धरती को भी अनुपजाऊ कर दिया है। अपने एकमात्र ग्रह पृथ्वी को बचाना हर किसी का कर्तव्य है। हम पानी के संरक्षण से शुरुआत कर सकते हैं और बिजली की खपत और मोबाइल फोन के उपयोग को कम कर
सकते हैं। निजी वाहन के बजाय साझा परिवहन का उपयोग शुरू करें। कागज
बर्बाद न करें। अनावश्यक कागज मुद्रण को रोकें। पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों
को बढ़ावा दें और अनावश्यक खरीदारी से बचें। स्थानीय बाजारों से खरीदें।
ये छोटी-छोटी आदतें पर्यावरण पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव डालती हैं।

डॉ मोनिका रघुवंशी व डॉ सोनिका कुशवाहा,
भारतीय जैव विविधता संरक्षण संस्थान।

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