बीकानेर/ हिन्दी-राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी को रविवार को एक भव्य समारोह में पारसमल पांड्या स्मृति राजस्थानी साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नेम प्रकाशन एवं अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति डेह, नागौर के तत्वावधान में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात नाटककार- आलोचक एवं साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक डाॅ. अर्जुन देव चारण थें एवं समारोह की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर देव कोठारी ने की। समारोह के विशिष्ट अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के सदस्य कवि मीठेश निर्मोही ,अरुण गुप्ता, पृथ्वीराज रतनू रहे।
संस्थान के अध्यक्ष पवन पहाड़िया एवं कार्यक्रम संयोजक लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि राजस्थानी विशेष सेवा शिखर सम्मान पारसमल पंड्या स्मृति राजस्थानी साहित्य पुरस्कार बीकानेर के राजेन्द्र जोशी को अर्पित किया जाएगा। उन्होंने बताया की अतिथियों ने पुरस्कार स्वरूप ₹11000 की नगद राशि, स्मृति चिह्न, अभिनंदन पत्र, शाल भेंट कर जोशी को पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर अर्जुन देव चारण ने कहा कि साहित्यकार ऋषि परम्परा से आता है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा का इतिहास अन्य भाषाओं से पुराना है।उन्होंने कहा कि आगामी जनगणना में मातृभाषा राजस्थानी लिखवानी होगा, उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजकाज की भाषा राजस्थानी होनी चाहिए। डॉ. चारण ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में राजस्थानी भाषा को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थानी की मांग अनुचित नहीं है, बल्कि आने वाली युवा पीढ़ी के लिए जरूरी मांग है। डॉक्टर चारण ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से स्थानीय युवाओं को राजकाज में भागीदारी के साथ अधिकाधिक रोजगार मिलने की संभावनाएं बढ़ेगी।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में देव कोठारी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए, उन्होंने कहा कि राजेन्द्र जोशी की रचनाएँ समाज की आवाज बुलंद करती है, कोठारी ने जोशी की जुम्मै री नमाज कहानी संग्रह को राजस्थानी भाषा का श्रेष्ठ कहानी संग्रह बताया।
विशिष्ट अतिथि मीठेश निर्मोही, अरुण गुप्ता , पृथ्वीराज रतनू ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का शानदार संचालन प्रोफेसर गजादान चारण ने किया।
इस अवसर पर जगदीश दान गाडण,सुरेश सोनी, मोहनपुरी, अब्दुल समद राही , वीरेंद्र लखावत, प्रहलाद सिंह झोरड, नारायण सिंह भाटी, मनोहर सिंह राठौड़, श्यामसुंदर भारती सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए हुए साहित्यकार उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि राजेन्द्र जोशी कि राजस्थानी भाषा में तीन कहानी संग्रह, दो कविता संग्रह, एक बाल कथा संग्रह, राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम एवं रघुवर दयाल गोईल की जीवनी एवं राजस्थानी की सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।
इसके अलावा जोशी की हिन्दी भाषा में चार कविता संग्रह, दो कहानी संग्रह, दो बाल कथा संग्रह, तीन स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी पुस्तके तथा अनेक संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। इससे पूर्व जोशी को अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है।