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बीकानेर,देश के प्रख्यात प्रकाशक और पत्रकार दीपचंद सांखला ने आज कथारंग साहित्य वार्षिकी के कवर पेज का लोकार्पण अपने फेसबुक से किया। इस अनूठे नवाचार को करते हुए सांखला ने कहा है कि हिंदी के इस ‘गैरजरूरी समय’ में जब मीडिया के तमाम माध्यम साहित्य से किनारा करते दिख रहे हों– बड़े समूहों की साहित्य-वार्षिकियाँ हाँफने लगी हों। तब बीकानेर जैसे हाशिये के शहर से कोई प्रकाशक छह वर्षों से उत्तरोत्तर गंभीरता के साथ साहित्य वार्षिकी के प्रकाशन में लगा है, यह कम उल्लेखनीय नहीं है।

25 जून, 2023 को अर्जुनदेव चारण के सान्निध्य में स्वनामधन्य ममता कालिया द्वारा लोकार्पित इस वर्ष की वार्षिकी में शामिल रचनाओं के अनुक्रम को देखेंगे (कमेंट बॉक्स में) तो पायेंगे कि लगभग तमाम विधाओं के माध्यम से हिंदी के परिचित नामों से रू बरू होंगे ही, ऐसे अनेक जरूरी नाम भी मिलेंगे जिनके कृतित्व से आप अभी तक परिचित नहीं है।

यह प्रकाशन चूंकि बीकानेर से हैं, इसलिए देश स्तरीय इस आयोजन में बीकानेर के लेखकों को शामिल करने में संपादक-प्रकाशक ने संकोच नहीं बरता है।

हिंदी प्रकाशन के इस विपन्न-काल में प्रकाशक गायत्री शर्मा, अपने साहसपूर्ण-श्रमसाध्य संपादन के लिए हरीश बी. शर्मा और इनकी पूरी टीम स्नेह और शुभकामनाओं के भागी हैं।

कथारंग साहित्य वार्षिकी परिवार के संरक्षक मधु आचार्य आशावादी ने सांखला का आभार स्वीकार करते हुए बताया कि पांच सौ पेज की यह साहित्य वार्षिकी आजादी के इन 75 साल में हुए सृजन के संबंध में भी जानकारी देती है।  साहित्य की लगभग सभी विधाओं के अलावा इसमें साक्षात्कार और संस्मरण भी शामिल हैं।

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