बीकानेर,आज पूरा विश्व 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है इसकी पहल भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर वर्ष 2015 में की। हृदय रोगीयों को स्वास्थ्य लाभ एवं बीमारी की रोकथाम में योग की महत्वूपूर्ण भूमिका रहती है यह मानना है एसपी मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध हल्दीराम कार्डिक वेस्कूलर सेण्टर के वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. पिण्टू नाहटा का। डॉ. नाहटा के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति एवं कार्डिक मरीज को योग को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए जिसमें प्रतिदिन वो योग के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें । हृदय रोगी भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (योग) का लाभ लेकर अपने आप को पूर्णतया मानसिक एवं शारीरिक रूप स्वस्थ बना सकता है।
डॉ. नाहटा अपने अनुभव से बताते है कि जो व्यक्ति हार्ट की बीमारी से ग्रस्त है उनके नियमित योगाभ्यास के चलते स्वास्थ्य सुधार में योग की भूमिका से ऐतिहासिक परिवर्तन देखने को मिला है, इसी के परिणाम स्वरूप मरीजों के उनकी दवाओं में कमी आई तथा डॉक्टर्स एवं अस्पताल की आवश्यकता में भी कमी आयी है, लेकिन महत्वूर्ण यह है कि एक भी दिन योगाभ्यास नहीं छूटना चाहिए तभी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (योग) के नियमित अभ्यास का लाभ देखने को मिलेगा।
*हृदय रोग बढ़ने के कारण*
ये देखा गया है कि हृदय रोग बनने में प्रमुख कारण प्रतिकूल जीवन शैली में लिप्त होना तथा शारीरिक श्रम में कमी होना है। उच्चरक्चाप, मधुमेह, तम्बाकू व सिगरेट का सेवन, जंक फूड का सेवन, नकारात्मक सोच, अकेलापन आदि सभी कारक मिलकर हृदयघात (हार्ट अटैक) की स्थिति पैदा करते है। हृदयघात होने पर 25-30 प्रतिशत मरीज केवल 10 मिनट मे अपना प्राण त्याग देते हैं, तथा घर से अस्पताल में पहूंचने से पहले ही अथवा अस्पताल में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने से पूर्व ही उनका निधन हो जाता है। अस्पताल में उपचार हेतु केवल 40-50 प्रतिशत मरीज ही उपचार प्राप्त कर पाते है। इन आंकडों के अध्ययन से प्रतीत होता है कि यदि जीवन शैली में परिवर्तन करके उपयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन एवं योग तथा प्रणामायाम तीनों के प्रयोग से इस भयावह बीमारी से छूटकारा पाया जा सकता है । यहा एक प्रकार का प्राथमिक उपचार है जिसमें न तो किसी प्रकार का खर्च आता है तथा न ही किसी बाहरी रासयन तत्व (दवाईयों का सेवन) का प्रयोग करने की आवश्यकता रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2025 में भारत में हृदय रोगीयों की संख्या विश्व में सर्वाधिक होगी एवं मृत्यु का प्रमुख कारण भी हृदय रोग ही रहेगा, बचाव ही उपचार है के सिद्धान्त पर योग एवं प्रणायाम की भूमिका इस भयावह आंकडों से निजात दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
*कम आयु वर्ग के व्यक्तियों में बढ़ते हार्ट अटैक के कारण*
पिछले दशक के आंकडों के अनुरूप हृदयघात रोगीयों में आयु वर्ग 25 से 45 वर्ष तक के व्यक्तियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है इसका प्रमुख कारण सिगरेट, तम्बाकू सेवन, शारीरिक श्रम में कमी, अत्यधिक मानसिक तनाव (टाइप ए पर्सनेलिटी) एवं जंक फूड का सेवन रहा है।
*डॉ. पिण्टू नाहटा स्वयं करते है नियमित दो घण्टे योगाभ्यास*
डॉ. नाहटा ने स्वयं अपने व्यस्ततम जीवन में से समय निकाल कर योग को अपने जीवनचर्या का प्रमुख हिस्सा बनाया है. डॉ. नाहटा रोज प्रातः 4ः30 बजे उठकर 5 बजे से 7 बजे तक योग की सभी मुद्राएं, प्रणायाम एवं मेडिटेशन का नियमित अभ्यास करते है। डॉ. नाहटा ने अपने 20 वर्ष की चिकित्सा सेवा जिसमें हजारों मरीजों की एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी तथा स्टेंंटंग का उपचार कर उन्हे विभिन्न योग एवं प्राणायाम करने की सलाह दी, उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकतम मरीजों ने योगाभ्यास तथा प्राणायाम को नियमित अपना कर बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है जो कि अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है। डॉ. नाहटा योग में पूरा विश्वास रखते है तथा प्रत्येक मरीज को दवाओं के साथ उसकी बीमारी अनुरूप योग एवं प्रणायाम की सलाह देते है।
नियमित योगाभ्यास से मरीज अपने आपको मानसिक एवं कार्डिक बीमारी से काफी स्वस्थ महसूस करते है। नियमित रूप से योग नहीं करने वाले व्यक्तियों की तुलना में योगाभ्यास करने वाले व्यक्ति अधिक स्वस्थ एवं मानसिक तनाव मुक्त रहते है।
हृदय रोगीयों के लिए उपयुक्त योगासन
सर्वांगासन, धनुरासन, हलासन, मत्स्यासन, पश्चिमोत्तानासन, उपविष्टाकोणासन, त्रिकोणासन आदि हृदय रोगीयों के लिए उपयुक्त योगासन है, लेकिन फिर भी पाठकों को अपने डॉक्टर अथवा योगाचार्य की सलाह पर योगाभ्यास करने की सलाह दी जाती है।